सारी जिच और सारा झगड़ा और सारा बवाल बेटों से उनका चल ही रहा था गांव को लेकर, कि अब एक नयी मुसीबत-÷ अशोक विहार' के मकान का क्या होगा?
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Fri, 12 Sep 2008 17:00:11 GMT news/national/politics/5_2_4810985.html सिंगुर की जमीन पर जिच बरकरार http://in.jagran.yahoo.com/news/national/politics/5_2_4810844.html< img src=“http://in.yimg.com/news/jagran/20080912/17/budhdev1_fix-1_1221241517_s.jpg”/>सिंगुर समस्या के समाधान को मुख्यमंत्री बुद्धदेव भंट्टाचार्य और तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी की शुक्रवार को फिर सीधी बात हुई।
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स्कारलेट मामला सीबीआई के हवाले पणजी, 8 मई: राज्य सरकार ने तकरीबन तीन महीनों के जिच के बाद ब्रिटेन की किशोरी स्कारलेट की हत्या के मामले की जांच को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई)को सौंपने की घोषणा...
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चंद शब्दों की समिधाथोड़ा सा कल्पना का अक्षतयादों के दो फूल औरमंत्रवत प्रस्तुत संस्कारआओ शब्दों को साधेंसृजन की धूनी रमाएंअपेक्षाओं की पालथी माररचें एक शब्द विधानप्रस्तुत-अप्रस्तुत की जिच छोड़ले लें एक मौन संकल्पकर्तव्यों का होम होता रहे अनवरतसमिधा की...
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चंद शब्दों की समिधाथोड़ा सा कल्पना का अक्षतयादों के दो फूल औरमंत्रवत प्रस्तुत संस्कारआओ शब्दों को साधेंसृजन की धूनी रमाएंअपेक्षाओं की पालथी माररचें एक शब्द विधानप्रस्तुत-अप्रस्तुत की जिच छोड़ले लें एक मौन संकल्पकर्तव्यों का होम होता रहे अनवरतसमिधा की
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हर अहिंसात्मक तरीके से अंग्रेजी राज के लिए जिच पैदा करना, उसे पंगु बना कर उखाड़ फेंकना ही उस प्रोग्राम का मूल मंत्र है और ‘ अहिंसा के दायरे में सब कुछ कर सकते हो ' यही है हमारा ध्रुवतारा।
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यह जानकारी देते हुए टेउसा के गामीणों ने बताया कि आंगनबाड़ी केन्द्र संख्या 53, स्थान डीलर सुलेमान टोला टेउसा की सेविका और और अध्यक्ष के बीच केन्द्र को हर हाल में चलाने और नही चलाने की जिच को ले दोनो आमने सामने हैं।
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गुरु गोविन्दसिंह से क्यों माँगी माफी? हमसे क्यों नहीं माँगी? लगता है ‘नारद पर प्रतिबन्धित चिट्ठे' के लेखक द्वारा सभी आहत चिट्ठेकारों से खेद प्रकट करने और नारद के फैसले से विरोध जारी रखने में ऐसी ही कोई जिच फँस गयी है ।
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गुरु गोविन्दसिंह से क्यों माँगी माफी? हमसे क्यों नहीं माँगी? लगता है 'नारद पर प्रतिबन्धित चिट्ठे' के लेखक द्वारा सभी आहत चिट्ठेकारों से खेद प्रकट करने और नारद के फैसले से विरोध जारी रखने में ऐसी ही कोई जिच फँस गयी है ।
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गुरु गोविन्दसिंह से क्यों माँगी माफी? हमसे क्यों नहीं माँगी? लगता है ‘ नारद पर प्रतिबन्धित चिट्ठे ' के लेखक द्वारा सभी आहत चिट्ठेकारों से खेद प्रकट करने और नारद के फैसले से विरोध जारी रखने में ऐसी ही कोई जिच फँस गयी है ।