अगर लोगों का सोच सिकुड़ रहा है, सपनों की सरहदें छोटी पड़ रही हैं तो इसका दोष सपनों के सौदागरों को ही जाएगा, क्योकि सपने जगाना, स्मृतियाँ जिलाना साहित्य का काम है।
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अल्लाह है जिसने तुम्हें पैदा किया फिर तुम्हें रोज़ी दी फिर तुम्हें मारेगा फिर तुम्हें जिलाएगा (36) (36) पैदा करना, रोज़ी देना, मारना, जिलाना ये सब काम अल्लाह ही के हैं.
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क्योकि एक तरफ वह ग्राम स्वराज अर्थात परम्परागत हिन्दू ग्रामीण समाज के आत्मनिर्भर ढांचे को जिलाना चाहते थे पर उसके लिए बहुसंख्यक ग्रामीण समाज की आर्थिक और सामाजिक अस्मिता और नेतृत्वकारी शक्तियो को आगे बढाना उन्हे स्वीकार नहीं था।
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क्योकि एक तरफ वह ग्राम स्वराज अर्थात परम्परागत हिन्दू ग्रामीण समाज के आत्मनिर्भर ढांचे को जिलाना चाहते थे पर उसके लिए बहुसंख्यक ग्रामीण समाज की आर्थिक और सामाजिक अस्मिता और नेतृत्वकारी शक्तियो को आगे बढाना उन्हे स्वीकार नहीं था।
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सीखो हंसना और हंसाना सीखो, मीठे बोल सुनाना सीखो, जीना और जिलाना सीखो, सबका भला मनाना सीखो, आलस्य त्यागो, संयम सीखो, पथ पर फूल बिछाना सीखो, नहीं मांगना, देना सीखो, दुख में धैर्य जुटाना सीखो, एक आन पर, दीन-हीन पर, अपना सर्वस्व लुटाना सीखो।
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ज़िन्दगी सिर्फ़ टूटती साँसों को जोड़ना ही नहीं है ज़िन्दगी टूटती आसों को जोड़ना भी है साँस चलती है आस के साथ-साथ उम्मीद से इसको जिलाना भी है मन के मरे हिस्से भी जी जाते स्नेह के बँधन से, धड़कन को ज़िन्दगी के घूँट पिलाना भी है
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यक्ष-राजन! जिसमें दस हजार हाथियों के समान बल है, उस भीम को छोड़कर तुम नकुल को क्यों जिलाना चाहते हो? जिसके बाहुबल का सभी पाण्डवों को पूरा भरोसा है, उस अर्जुन को भी छोड़कर तुम्हें नकुल को जिला देने की इच्छा क्यों है?
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नामदेव के चरित्र में भी सुल्तान की आज्ञा से इनका मृत गाय को जिलाना, पूर्वाभिमुख आवढ्या नागनाथ मंदिर के सामने कीर्तन करने पर पुजारी के आपत्ति उठाने के उपरांत इनके पश्चिम की ओर जाते ही उसके द्वार का पश्चिमाभिमुख हो जाना, विट्ठल की मूर्ति का इनके हाथ दुग्धपान करना, आदि घटनाएँ समाविष्ट हैं।
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युधिष्ठिर के यह कहते ही यक्ष उनके सामने प्रकट हो गया और बोला-“ युधिष्ठिर! दस हज़ार हाथियों के बल वाले भीम को छोड़कर तुमने नकुल को जिलाना क्यों ठीक समझा? भीम नहीं तो तुम अर्जुन को ही जिला लेते जिसके युद्ध कौशल से सदा ही तुम्हारी रक्षा होती आई है! ”
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और यह सब इसलिए हुआ, हो रहा है और आगे भी होगा क्योंकि पानी में ठुस्स हो गयी माचिस की डिब्बी जैसी विधानसभा को फिर से जिलाना है और इस बार उसे किसी हालत में ठुस्स नहीं होने देना है-चाहे रात का एक बजा हो या दिन के बारह-इस बार खेल पूरे हिसाब से खेलना है।