केवल शायर की आवाज़ सुनना, शायर का बह्र / रुक्न / जुज का ज्ञान परखना या बस शायर से मिलना जुलना? क्योंकि अगर कहन में कुछ है ही नहीं तो गज़ल ' कहना ' क्या और गज़ल सुनना क्या.
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मुजारे के मामले में हमने ये किया कि मुजारे के स् थाई रुक् न मुफा + ई + लुन (वतद + सबब + सबब) की जुजबंदी में पहले जुज वतद की ठीक पहली मात्रा को ' खिरम ' परिवर्तन करते हुए हटा दिया ।
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हमारे देश की वर्तमान दशा के अनुसार खास कर इस अँगरेजी राज् य में महत् व केवल धन में आ टिका हैं पर बुद्धिमानों ने जैसा तय कर रखा है उससे सिद्ध होता है कि धन महत् व-संपादन का प्रधान अंग नहीं है वरन् उसका एक बहुत छोटा-सा जुज है।
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शेख कहते हैं, जिन विषयों का जानना और जिनकी वैद्यक में तर्क एवं युक्ति से सिद्ध करना आवश्यक हें, वे रोग, उनके निदान कारण (अस्बाब जुज इयया) और उनके लक्षण है तथा यह है कि व्याधि का निवारण किस प्रकार किया जाए एवं स्वास्थ्य संरक्षण किस प्रकार हो सकता हैं ।
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रमल के मामले में हुआ ये कि रमल स् थाई रुक् न फा + एला + तुन (सबब + वतद + सबब) की जुजबंदी में हमने पहले ' सबब ' जुज ' फा ' में से दूसरी मात्रा को ' खबन ' परिवर्तन का प्रयोग करते हुए हटा दिया ।
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इमाम हज़रत अली इब्ने अबी तालिब (अ-स-) भी पानी को जिंदगी की पैदाइश की लाज़मी जुज बताते हुए कहते हैं, ''फिर ये कि अल्लाह ने कुशादा फिज़ा, वसीअ एतराफ व इकनाफ और ख़ला की वुसाअतें ख़ल्क कीं और उन में ऐसा पानी बहाया जिसके दरियाये मवाज़ की लहरें तूफानी और बहरे ज़खार की मौज़े तह ब तह थीं।
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तौहीदे ज़ात का मतलब यह है कि ख़ुदा की ज़ात एक है और उस का कोई शरीक नही है, न उस को किसी ने पैदा किया है और न ही वह किसी का बाप या माँ है, न वह किसी दूसरे का जुज है और न कोई दूसरा उस की जुज़ है यानी वह किसी चीज़ से मिल कर नही बना है।
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मगर दर-हक़ीक़त यह उसकी ग़िजा (खुराक) नही है बल्कि इस वक़्त भी उसकी ग़िजा वही है जो कु़दरत ने उसको शिकमे मादर में मुक़र्रर की थी यानी ख़ून इस की तफसील यह है कि जो ग़िजा (खुराक) हम खाते हैं व जुज (हिस्सा) व बदन इन्सान नहीं होती बल्कि अव्वल उसका ख़ून बनता है फिर यह खून इन्सान के बदन की ग़िजा होती है।
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-व्यावहारिक दृष्टि से कम्युनिस्ट हर देश की मजदूर पार्टियों के सबसे उन्नत और कृतसंकल्प जुज होते हैं ऐसे जुज जो औरों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, दूसरी ओर सैद्धांतिक दृष्टि से सर्वहारा वर्ग के विशाल जन समुदाय की अपेक्षा इस अर्थ में श्रेष्ठ हैं कि वे सर्वहारा आंदोलन के आगे बढ़ने के रास्ते की, उसके हालात और साधारणतः उसके अंतिम नतीजे की सुस्पष्ट समझ रखते हैं ।
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-व्यावहारिक दृष्टि से कम्युनिस्ट हर देश की मजदूर पार्टियों के सबसे उन्नत और कृतसंकल्प जुज होते हैं ऐसे जुज जो औरों को आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं, दूसरी ओर सैद्धांतिक दृष्टि से सर्वहारा वर्ग के विशाल जन समुदाय की अपेक्षा इस अर्थ में श्रेष्ठ हैं कि वे सर्वहारा आंदोलन के आगे बढ़ने के रास्ते की, उसके हालात और साधारणतः उसके अंतिम नतीजे की सुस्पष्ट समझ रखते हैं ।