मुझे अपने इस स्लो होने पर कोई मलाल भी नहीं है क्योंकि ब्लाग पर लिखने / पढ़ने के काम का होलटाइमर मैं स्वयं को नही मानता और न ही अपने रोजमर्रा के कामकाज और नून-तेल लकड़ी के जुटाव / जुगाड़ के बीच इतना अवकाश ही मिल पाता है, फिर भी ' कर्मनाशा ' पर अब तक जो कुछ भी आ पाया है और मित्रों को तनिक भी रुचिकर लगा है तो मैं आभारी हूँ-सभी के प्रति धन्यवाद!