तुम सोच रहे होगे कि ज्योनार कहां रह गए? ज्योनारों के बारे में सोच-सोच कर मुंह में पानी भर रहा होगा ना?
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जहां उसने एक चुटकी आटे का सवाल किया था, वहां दाता ने ज्योनार का एक भरा थाल लेकर उसके सामने रख दिया।
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आग में तिल, खील, मूंगफली, मकई और रेवड़ियों की भेंट चढ़ा कर बढ़िया फसल और धन-धान्य की प्रार्थना करके लोग स्वादिष्ट ज्योनार जीमते हैं।
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तुम्हारे पुरखों के मुंह में भरता था और हजारों साल से हर साल हमारे ज्योनार लोगों के मुंह में पानी भरते आ रहे हैं।
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बोली, “क्या इसलिए कि आज मेरी भूल से ज्योनार के थालों में उलट-फेर हो गया?” राजा-नहीं, इसलिए कि तुम्हारे प्रेम में हरदौल ने उलट-फेर कर दिया!
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इस प्रकार केवल दो साहित्यिक पुस्तकें बचीं जो वर्णनात्मक (डेस्क्रिप्टिव) हैं एक में नंद के ज्योनार का वर्णन है, दूसरे में गुजरात के रैवत पर्वत का।
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हरफन अधूरा माठु माठु हिट जरा हौले हौले चल तू त्यारा रूप कि झौल मां, नौंणी सी ज्यू म्यारु फसलें और त्यौहार त्योहार तुम्हारे, ज्योनार हमारे 'धाकड़' दाज्यू आप चिरंजीवी हो…..
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ज्योनार (सं.) [सं-स्त्री.] 1. भोज ; दावत ; बहुत से निमंत्रित लोगों का एक साथ बैठकर होने वाला भोजन 2. पका हुआ खाना ; रसोई।
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] वह पकवान या भोजन जो भोज या ज्योनार आदि से कपड़े में बाँधकर घर लाया जाए ; किसी भोज में सम्मिलित न हो पाने वाले व्यक्ति के लिए घर भेजी जाने वाली खाद्य-सामग्री ; परोसा।
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बोली-क्या इसलिए कि आज मेरी भूल से ज्योनार के थालों में उलट-फेर होगया? राजा-नहीं, इसलिए कि तुम्हारे प्रेम में हरदौल ने उलट-फेर कर दिया? जैसेआग की आंच से लोहा लाल हो जाता है, वैसे ही रानी का मुँह लाल हो गया.