उद्दीप्त खनिज तेल ज्वालक का सिद्धांत यह है कि एक वाष्पित्र में दबाव के साथ द्रव खनिज तेल का अंत: क्षेप होता है, जहाँ वह कुछ गौण जेटों द्वारा गरम होकर वाष्प बन जाता है।
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ऐसे तो यह गैस बहुत धुआँ देती हुई दीप्त ज्वाला से जलती है, पर एक विशिष्ट प्रकार के ज्वालक में, जिसमें बड़े छोटे छिद्र से गैस निकलती है, यह बिना धुआँ उत्पन्न किए जलती है।
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ऐसे तो यह गैस बहुत धुआँ देती हुई दीप्त ज्वाला से जलती है, पर एक विशिष्ट प्रकार के ज्वालक में, जिसमें बड़े छोटे छिद्र से गैस निकलती है, यह बिना धुआँ उत्पन्न किए जलती है।
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वाष्प एक टोंटी से निकलता है और अपने साथ कुछ वायु लिए हुए ज्वालक के शीर्ष पर बने एक प्रकोष्ठ में पहुँचता है, जहाँ दोनों मिलकर दहनशील गैस में बदल जाते हैं, जिससे मैंटल उद्दीप्त होता है।
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गरम उष्णीय यंत्र बाह्य गर्मी के साधन जैसे ईंधन ज्वालक द्वारा थर्मल के संपर्क में रहता है एवं शीतल उष्णीय यंत्र बाह्य गर्मी के हौज़ जैसे हवा के पंखे के द्वारा थर्मल के संपर्क में रहता है.
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गरम उष्णीय यंत्र बाह्य गर्मी के साधन जैसे ईंधन ज्वालक द्वारा थर्मल के संपर्क में रहता है एवं शीतल उष्णीय यंत्र बाह्य गर्मी के हौज़ जैसे हवा के पंखे के द्वारा थर्मल के संपर्क में रहता है.
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वाष्प एक टोंटी से निकलता है और अपने साथ कुछ वायु लिए हुए ज्वालक के शीर्ष पर बने एक प्रकोष्ठ में पहुँचता है, जहाँ दोनों मिलकर दहनशील गैस में बदल जाते हैं, जिससे मैंटल उद्दीप्त होता है।
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इस प्रकार के ज्वालक के आविष्कार का श्रेय बुन्सेन को दिया जाता है, परंतु बाद की खोजों से पता चला है कि इसका वास्तविक डिज़ाइन पीटर डेसगा (Peter Desdga) ने बनाया था और इनसे भी बहुत पूर्व इसी सिद्धांत पर माइकेल फैराडे ने एक समंजनीय गैस ज्वालक बनाया था।
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इस प्रकार के ज्वालक के आविष्कार का श्रेय बुन्सेन को दिया जाता है, परंतु बाद की खोजों से पता चला है कि इसका वास्तविक डिज़ाइन पीटर डेसगा (Peter Desdga) ने बनाया था और इनसे भी बहुत पूर्व इसी सिद्धांत पर माइकेल फैराडे ने एक समंजनीय गैस ज्वालक बनाया था।
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कुछ एक उदाहरण निम्न प्रकार है-साढ़ेसाती के लिए-यदि सूर्य महादशा चल रही हो तो “ उपशीत ”, चन्द्रमा क़ी महादशा में “ भूपर ”, मंगल क़ी महादशा में “ निस्तार ”, बुध क़ी महादशा में “ निशांत ”, गुरु क़ी महादशा में “ ज्वालक ”, शुक्र क़ी महादशा में “ भावरी ” शनि क़ी महादशा में “ नीलम ”, राहू क़ी महादशा में “ वर्तिका ” एवं केतु क़ी महादशा में विक्रांत मणि ही धारण करें.