| 41. | यह वही आदमी था जो टर्पिन दंपत्ति के आने के वक् त सोया हुआ होने का दिखावा कर रहा था।
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| 42. | श्रीमती टर्पिन और क् लाड के अपने पंपहाउस में मुर्गियों के चारों की तीन बोरियाँ ठीक इसी छपाई की थीं।
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| 43. | श्रीमती टर्पिन ने मन ही मन सोचा कि इस उम्र में चेहरा ऐसा हो जाए ये कितनी दयनीय बात है।
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| 44. | “ मैं प्रभु की बेहद शुक्रगुजार हूँ कि उसने मुझे बहुत ही बढ़िया कद-काठी बख् शी ”, श्रीमती टर्पिन बोलीं।
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| 45. | “ नहीं ”, श्रीमती टर्पिन ने कहा, “ मशीनों से आधा कपास तो खेती में ही छूट जाता है।
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| 46. | और प्रभु ने इनको एक साफ-सुथरी इज् जतदार हब् शी औरत बना दिया होता-यही श्रीमती टर्पिन, लेकिन काली।
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| 47. | तभी लड़की भहरा कर धड़ से गिर पड़ी और श्रीमती टर्पिन की नजरें अब हर चीज छोटी की जगह बड़ी देखने लगीं।
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| 48. | चाहिए तो था कि अपने लिए एक रग् गड़ और साबुन ले कर आती, श्रीमती टर्पिन ने मन ही मन कहा।
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| 49. | श्रीमती टर्पिन ने सिर घुमा कर देखने की कोशिश की कि शायद बाहर कुछ देखने लायक हुआ हो, लेकिन कुछ दिख नहीं।
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| 50. | श्रीमती टर्पिन ने बाल् टी ट्रक के फर्श पर रख दी, “ लो, तुम लोग पी लो ”, वे बोलीं।
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