बिना बालिग हुए पिता बनना, कुश्ती की खातिर मुमताज का प्रेम ठुकरा देना, पारंपरिक परिवार के संस्कारों से बाहर निकलकर आधुनिक सोच अख्तियार करना-दारा सिंह सचमुच कद्दावर थे और उनमें यह ताकत भी थी कि वे अपने विचारों को नया कलेवर दे सकें।
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इसमें सोनिया गाँधी का प्रधानमंत्री पद ठुकरा देना, मनमोहन सिंह द्वारा प्रधानमंत्री पद के लिए किसी भी प्रकार जद्दोजहद न करना या फिर बिना किसी स्वार्थ के वाम दलों द्वारा सरकार को समर्थन देना आदि ये वो तथ्य थे, जिन्होंने सरकार के प्रति आम जनमानस में विश्वास और आत्मीयता का संचार कर दिया।
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उन्होंने कहा कि येदियुरप्पा सरकार को बहुमत प्राप्त है और वह सदन में बहुमत साबित करना चाहते हैं, लेकिन जिस तरह से भारद्वाज इसकी अनुमति नहीं देकर और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफ़ारिश करके नया संविधान लिखना चाह रहें हैं, उसके मद्देनज़र केंद्र सरकार को उनकी सिफ़ारिश को ठुकरा देना चाहि ए.
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हमारे कवि मित्र हरीश करमचंदाणी अपनी एक कविता में लिखते हैं, ‘ क्या पिता की हर बात मानना संभव भी है? ' सच्चाई यह है कि बिना वैज्ञानिक ज्ञान या समझ के अपने पूर्ववर्तियों की बात को ठुकरा देना जितना नुकसानदेह होता है, उससे कहीं अधिक हानिकारक होता है अंधश्रद्धा से मान लेना।
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” माँ-बाप की आँखों मे दो बार ही आंसू आते है | एक तो लड़की घर छोड़े तब और दूसरा लड़का मुह मोड़े तब | पत्नी पसंद से मिल सकती है | मगर माँ तो पुण्य से ही मिलती है | इसलिए पसंद से मिलने वाली के लिए पुण्य से मिलने वाली को मत ठुकरा देना |
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नास्तिकता के बाह्याचार तो अपनी नासमझी में अथवा बचपन में सभी बच्चे करते हैं-मसलन शंकर जी की गोल पिंडी को पत्थर का अंडा अथवा लोहे की गेंद समझकर उछालना फेंकना या ठुकरा देना, बिना नहाए धोये किसी भी देवी देवता की मूर्ती को छू या उठा लेना, भोग या प्रसाद को खा जाना.... इन सब से कोई नास्तिक नहीं हो जाता।
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एक बाजारू कुत्ते सा मैं बड़ा होऊँगा दिशाहीन अकेला घूमता, ना कोई खिलाए मुझे भात ना कोई बरसाए प्रेम मैं अकेला रहना चाहता हूँ फिर तुमसे मिलना चाहता हूँ तुम भी बड़े होना मेरे जैसे ही लावारिस जैसे ही तुम्हारी माँ जन्म दे तुम्हें बिना दूध पिलाए उसे मर जाने दो किसी को नहीं करने दो खुद से प्रेम तुम भी मत करना किसी से प्रेम मत खाना मांगकर एक दाना चावल भी कोई अगर खाना दे भी तो ठुकरा देना तुम रहना-
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एक बाजारू कुत्ते सा मैं बड़ा होऊँगा दिशाहीन अकेला घूमता, ना कोई खिलाए मुझे भात ना कोई बरसाए प्रेम मैं अकेला रहना चाहता हूँ फिर तुमसे मिलना चाहता हूँ तुम भी बड़े होना मेरे जैसे ही लावारिस जैसे ही तुम्हारी माँ जन्म दे तुम्हें बिना दूध पिलाए उसे मर जाने दो किसी को नहीं करने दो खुद से प्रेम तुम भी मत करना किसी से प्रेम मत खाना मांगकर एक दाना चावल भी कोई अगर खाना दे भी तो ठुकरा देना तुम रहना-
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लिब्राहन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ये सिफारिश की जिसे सरकार को इसे यह कर ठुकरा देना चाहिए कि ये बातें इस कमीशन के अधिकार क्षेत्र से बाहर की हैं लेकिन सरकार ने अपनी एक्शन टेकन रिपोर्ट में इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रिटायर्ड चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में एक कमीशन इस बात की जांच कर चुका है और केंद्र-राज्य संबंधों की जांच करने के लिए भी एक आयोग गठित किया जा चुका है जिसकी मार्च दो हजार दस में रिपोर्ट अपेक्षित है।
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लिब्राहन ने अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर ये सिफारिश की जिसे सरकार को इसे यह कर ठुकरा देना चाहिए कि ये बातें इस कमीशन के अधिकार क्षेत्र से बाहर की है लेकिन सरकार ने अपनी एक्शन टेकन रिपोर्ट में इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि रिटायर्ड चीफ जस्टिस की अध्यक्षता में एक कमीशन इस बात की जांच कर चुका है और केंद्र-राज्य संबंधों की जांच करने के लिए भी एक आयोग गठित की जा चुकी है जिसकी मार्च दो हजार दस में रिपोर्ट अपेक्षित है ।