पर एक बार वह इसी लखनऊ में आए और ठेंठ गंवई कथाकार जिन को लोगों ने कई बार आंचलिक कथाकार भी कहा है उन फणीश्वर नाथ रेणु पर क्या तो बढ़िया व्याख्यान दिया था।
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स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता और प्रथम राष्टŠ??ति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद इसी क्षेत्र (सिवान) के रहने वाले थे, जो राष्टŠ??ति भवन में भी ठेंठ गंवई अंदःाज में रहते थे और भोजपुरी में खुलकर बातें करते थे।
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कांग्रेस और फिर भाजपा ने सत्तासीन होने के बावजूद कभी भी कश्मीर और कश्मीर की अवाम की आत्मा को टटोलने और फिर उसे ठेंठ हिन्दुस्तानी बनाने के लिए किसी किस्म के प्रयोग नहीं किये, अगर कोई प्रयोग हुआ तो सिर्फ सेना का या पाकिस्तान से जुड़े प्रोपोगंडा का.
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क्योंकि आपकी ये ठेंठ हिन्दुस्तानी परिवेश में रचा-बसा चौपाल अब मुझे कुछ समय के लिए कामचोर बना देगा और मैं काम से बहाने बना बना कर इस आनंददायी काम को करूंगा लोग कहते हैं की विदेशो में काम से फुर्सत नहीं सो अगर आपको वंहा इसके लिए फुर्सत
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अनिता जी के नामके साथ तो एक और अनकुस लगने वाली बात है वह है उनके नाम के आगे कुमार जुडा होना-अब ठेंठ हिन्दी के पुर्बई लोग कुमार का मतलब पुरूष वाचक संज्ञां से लगाते हैं, मगर अभी तक तो आप जान ही गएँ होंगे अनिता कुमार जी बकलमख़ुद की प्रथम तारिका, एक विदुषी हैं! अनिता जी से मेरा परिचय यही कोई साल सवा साल पुराना है.
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कराची, कच्छ और काठियावाड से लेकर बम्बई, दाभोल, कारवार या गोकर्ण तक का समुद्र-तट, उसेक बाद कालिकट से लेकर रामेश्वरम् और कन्याकुमारी तक का दक्षिण का किनारा, वहां से ऊपर पांडिचेरी, मद्रास, मछलीपट्टम्, विजगापट्टम आदि सूर्योदय का पूर्व किनारा और अन्त में गोपालपुर, चादीपुर, कोणार्क और पुरी जगन्नाथ से लेकर ठेंठ हीराबंदर तक का दक्षिणाभिमुख समुद्र-तट जब याद आता है, तब कम से कम पचास-पचहत्तर दृश्य एक ही साथ नजर के सामने विश्वरूप दर्शन की तरह अद्भुत ज्वार-भाटा चलाते हैं?