मुनाफे को लेकर लाललियत नेताओ की लंबी कतार और विकास के नाम पर परियोजना तले अपने धंधे को चमकाने में लगे देश के तमाम बड़ी औघोगिक कंपनियों की मौजूदगी के बीच उन दो लाख किसान-मजदूरो की हैसियत ही क्या हो सकती है जो अभी भी अपने संघर्ष से सिस्टम को डिगाना चाहते हैं।
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मुनाफे को लेकर लाललियत नेताओ की लंबी कतार और विकास के नाम पर परियोजना तले अपने धंधे को चमकाने में लगे देश के तमाम बड़ी औघोगिक कंपनियों की मौजूदगी के बीच उन दो लाख किसान-मजदूरो की हैसियत ही क्या हो सकती है जो अभी भी अपने संघर्ष से सिस्टम को डिगाना चाहते हैं।