' प्यार की जीत ' और ' बड़ी बहन ' जैसी सुपर-डुपर हिट फ़िल्मों के बाद डी. डी. कश्यप ने सुरैया को १ ९ ५ ४ की इस फ़िल्म ' शमा परवाना ' में डिरेक्ट दिया और इसमें पहली बार उनके नायक बनें शम्मी कपूर।
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तो दोस्तों, गीत सुनिए, अरे हाँ, मैं तो भूल ही गया, आख़िर क़मर साहब ने भी तो इस गीत का ज़िक्र किया था १९७९ में उनके द्वारा प्रस्तुत 'जयमाला' कार्यक्रम में! “डिरेक्टर मनमोहन देसाई की पहली फ़िल्म 'छलिया' अपने भाई सुभाष देसाई के लिए डिरेक्ट कर रहे थे।
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१ जनवरी २ ०० ८ को पोस्ट लिखी थी, उस समय तो आपने पढ़ी नहीं होगी, अत: अब उसे पेस्ट कर कर रहा हूँ, कसम से डिरेक्ट फ्रॉम दिल थी (आचार्य, कृपया इस पोस्ट की त्रुटियों पर नज़र मत डालना-खुदा कसम कापी लाल हो जायेगी) ….
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तो दोस्तों, गीत सुनिए, अरे हाँ, मैं तो भूल ही गया, आख़िर क़मर साहब ने भी तो इस गीत का ज़िक्र किया था १ ९ ७ ९ में उनके द्वारा प्रस्तुत ' जयमाला ' कार्यक्रम में! ” डिरेक्टर मनमोहन देसाई की पहली फ़िल्म ' छलिया ' अपने भाई सुभाष देसाई के लिए डिरेक्ट कर रहे थे।
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अब समझे. मेल मे पोस्ट का टाईटल देख के लगा कि कोनो गडबड है.वो हुआ यूँ कि हम जो है पहला पोस्ट पढने के बाद डिरेक्ट दूसरा पढना शूरू कर दिये.कुछ ज्यादा ही खो गये पोस्ट में.और ऊ का खतम कर बिना कोनू कमेंट पढें हियाँ ही टिपिया दिये.एगो बार ऊ जो ब्लॉगर है.....का नाम है उनका हाँ मुक्ति जी उनके ब्लॉग पर भी हम सेम टू सेम गलती किये रहे बहुत पहले.कहीं के मारे कहीं कमेंट कर दिये.चलिये कोनो बात नाही आप तक बधाई पहुँच गई ओ ही हमारे लिये बहुत है.आभार.