हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक (आइसोटोप) पाये जाते हैं, अन्य दो ड्यूटीरियम और ट्रिटियम कहलाते हैं, जिनका परमाणु भार क्रमशः 2 और 3 होता है।
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ड्यूटीरियम विनिमय का प्रयोग करते हुए एक प्रौद्योगिकी प्रदर्शन संयंत्र का भी विकास किया गया है तथा भापासं, बड़ौदा, गुजरात में प्रदर्शित किया गया है ।
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नाभिक में अतिरिक् त न् यूट्रान की उपस्थिति के कारण ड्यूटीरियम का परमाण्विक द्रव् यमान 2 होता है जबकि हाइड्रोजन का द्रव् यमान 1 होता है ।
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जहाँ तक ड्यूटीरियम की बात है, यह प्राकृतिक रूप से समुद्री जल में पाया जाता है और इस संपदा का पृथ्वी पर शायद कभी अभाव नहीं होगा.
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इसका कारण यह है कि भारी पानी कुछ ड्यूटीरियम नाभि कीय रिएक् टर में एक न् यूट्रॉन अवशोषित कर ट्रीशियम में रुपान् तरित हो जाता हैं ।
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हाइड्रोजन के तीन समस्थानिक (आइसोटोप) पाये जाते हैं, अन्य दो ड्यूटीरियम और ट्रिटियम कहलाते हैं, जिनका परमाणु भार क्रमशः 2 और 3 होता है।
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इसे ' ड्यूटीरियम ' (D) कहते हैं और इसका उत्पत्ति होता है जब हाइड्रोजन (उदजन) को एक अधिक न्यूट्रॉन मिलते है, और ऐसे ड्यूटेरियम को उदजन का एक समस्थानिक कहते है।
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स्पेक्ट्रोस्कोपी एन एम आर स्पेक्ट्रोस्कोपी मे अणुओं के बदले जा सकने वाले हाइड्रोजन को ड्यूटीरियम से बदलने के लिये और प्रोटीन के एफ़ टी आइ आर स्पेक्ट्रम लेने मे उनके अमाइड बन्ध संकेतों को पहचानने के लिये।
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ड्यूटीरियम परमाणु हाइड्रोज़न का समस्थानिक (आइसोटोप) है, जिसकी नाभि में एक अतिरिक्त न्यूट्रॉन होने से इसका परमाणु भार हाइड्रोजन का दुगुना होता है, अन्यथा रासायनिक गुणधर्मों में यह हाइड्रोजन जैसा ही होता है।
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ड्यूटीरियम, हाइड्रोजन तथा हाइड्रोजन युक् त यौगिकों जैसे जल, हाइड्रोकार्बन आदि में विद्यमान रहता है, तथा प्रकृति में काफी कम मात्रा में 140 पीपीएम से 160 पीपीएम स् तर तक पाया जाता है ।