शैलाक्ष: मुझे अपने तमस्सुक से काम है, मैं कदापि तुम्हारी बात न सुनूंगा, मुझे केवल अपने तमस्सुक से काम है ; बस अब अधिक गिड़गिड़ाने से क्या लाभ।
42.
शैलाक्ष: मुझे अपने तमस्सुक से काम है, मैं कदापि तुम्हारी बात न सुनूंगा, मुझे केवल अपने तमस्सुक से काम है ; बस अब अधिक गिड़गिड़ाने से क्या लाभ।
43.
अनन्त: क्यों? डरो मत-प्रतिज्ञा भंग होने की घड़ी कदापि न आवेगी-दो महीने के भीतर अर्थात् तमस्सुक की मिती पूजने के एक महीना पहिले मुझे आशा है कि इसका तिगुना धन मेरे पास पहुँच जायगा।
44.
' ' वीरेन्द्रसिंह ने कहा, “ तो इस वक्त कहाँ से लायें? '' तेजसिंह ने जवाब दिया, ‘‘ तमस्सुक लिख दो! ” कुमार हंस पड़े और उंगली से हीरे की अंगजी उतारकर दे दी।
45.
इस लिये कि वह एक मज़बूत रस्सी, रौशन व वाज़ेह नूर, नफ़ा बख़्श शिफ़ा, प्यास बुझाने वाली सेराबी (त्रप्ति) तमस्सुक करने वाले के लिये सामाने हिफ़ाज़त और वाबस्ता (सम्बद्द) रहने वाले के लिये नजात (निर्वाण) है।
46.
शैलाक्ष: वाह रे योग्यता! वाह रे न्याय! आहा! क्या कहना है! पुरश्री: क्योंकि कानून का अभिप्राय यही है कि प्रतिज्ञा भंग करने का दण्ड तमस्सुक के प्रणानुसार सब अवस्था में दिया जाना चाहिए, तो वह इस अवस्था में भी उचित है।
47.
87-इमाम मोहम्मद बाक़र (अ 0) ने आपका यह इरशादे गिरामी नक़्ल किया है के ‘‘ रूए ज़मीन पपर अज़ाबे इलाही से बचाने के दो ज़राए थे, एक को परवरदिगार ने उठा लिया है (पैग़म्बरे इस्लाम स 0) लेहाज़ा दूसरे से तमस्सुक इख़्तेयार करो।
48.
17. शिया अक़ीदा रखते हैं कि मज़कूरा वजह और अक़ायद की किताबों में पाई जाने वाली नक़्ली व अक़ली कसीर दलीलों की बेना पर अहले बैत (अ) की पैरवी वाजिब है और उनके रास्ते और तरीक़े को अपनाना ज़रुरी है क्योकि उन्ही का तरीक़ा वह तरीक़ा है जिसे उम्मते के लिये रसूल (स) ने मुअय्यन फ़रमाया और उन से तमस्सुक का हदीसे सक़लैन (जो मुतवातिर है)
49.
(अनन्त से) मेरे साथ किसी व्यवस्थापक के यहाँ चलिए और उसके सामने तमस्सुक पर अपनी मुहर कर दीजिए और हँसी की रीति पर वह शर्त लिख दीजिए कि यदि अमुक दिन और अमुक स्थान पर आप रुपया मेरा जिसका तमस्सुक में वर्णन है न चुका दें तो मुझे अधिकार होगा कि उसके बदले मैं आपके जिस शरीर के अंश से चाहूँ आध सेर माँस काट लूँ।
50.
(अनन्त से) मेरे साथ किसी व्यवस्थापक के यहाँ चलिए और उसके सामने तमस्सुक पर अपनी मुहर कर दीजिए और हँसी की रीति पर वह शर्त लिख दीजिए कि यदि अमुक दिन और अमुक स्थान पर आप रुपया मेरा जिसका तमस्सुक में वर्णन है न चुका दें तो मुझे अधिकार होगा कि उसके बदले मैं आपके जिस शरीर के अंश से चाहूँ आध सेर माँस काट लूँ।