शामी काग़ज़ की दूसरी कहानियाँ भी जिनमें तलाश, दीमक, परिन्दे, उक़ाब और बेगाना ताजिर शामिल हैं अपने समय की हिन्दी कहानियों से अलग अपनी पहचान बनाती हैं ।
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आश्चर्य है कि जिस हिंदी ने अरबी के तजारा से तिजौरी और तिजारती जैसे शब्द बेधड़क बना लिए, उसने व्यापारी के लिए इसी कड़ी का ताजिर शब्द नहीं अपनाया।
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उनकी मालदारी का यह हाल हुआ कि उनके बीस ग़ुलाम थे, सब के सब ताजिर और उनमें सब से कम पूंजी जिसकी थी उसकी बीस हज़ार की थी.
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शामी काग़ज़ की दूसरी कहानियाँ भी जिनमें तलाश, दीमक, परिन्दे, उक़ाब और बेगाना ताजिर शामिल हैं अपने समय की हिन्दी कहानियों से अलग अपनी पहचान बनाती हैं ।
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यह आश्चर्य की बात है कि जिस हिन्दी ने अरबी के तजारा से तिजौरी और तिजारती जैसे शब्द बेधड़क बना लिए उसने व्यापारी के लिए इसी कड़ी का ताजिर शब्द नहीं अपनाया।
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यह आश्चर्य की बात है कि जिस हिन्दी ने अरबी के तजारा से तिजौरी और तिजारती जैसे शब्द बेधड़क बना लिए उसने व्यापारी के लिए इसी कड़ी का ताजिर शब्द नहीं अपनाया।
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कहो कि अब कोई ताजिर इधर का रुख़ न करे, अब इस जा कोई कंवारी न बेची जाएगी ये खेत जाग पड़े, उठ खड़ी हुई फ़सलें, अब इस जगह कोई क्यारी न बेची जायेगी
48.
डा. 'राही' मासूम रज़ा ने नेताओं और फिरक़ापरस्त लोगों की तरफ उंगली उठाते हुए कहा कि, एक मिनिस्टर है तस्वीर के वास्ते और एक मिनिस्टर है ताजिर के वास्ते और जनता है सिर्फ ज़ंजीर के वास्ते.
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हमें किसी की ज़मीं छीनने का शौक नहीं, हमें तो अपनी ज़मीं पर हलों की हाजत है॥ कहो कि अब कोई ताजिर इधर का रुख न करे, अब इस जा कोई कंवारी न बेची जाएगी।
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' व्यापार' में घोटाले है, 'घोटालो' का व्यापार, इन्साफ करे कौन जब ताजिर बनी सरकार? करता है 'सफ़र' माल तो संग चलती है तहज़ीब* *संस्कृति 'शब्दों' का भी 'व्यापार' से होता है सरोकार. आगे....और भी..'आत्म-मंथन' पर......