| 41. | कवन सम्पदा कवन तात कब तो बिन पाई ।
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| 42. | बहना के भ्रात, नव पराग के तात
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| 43. | कलि कौतुक तात न जात कही ।।
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| 44. | पांच-पांच हैं मैया तेरी, कितने बताओ तात?
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| 45. | सुनहु तात यह अकथ कहानी-शिवानी
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| 46. | हे तात! इस सुंदर वसंत को तो देखो।
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| 47. | कहा: “कृतकृत्य हुआ मैं तात! पधारे आप।
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| 48. | तात स्वर्ग अपवर्ग सुख धरिय तुला इक अंग...
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| 49. | इन स्वजनों धृतराष्ट्रों का तो उचित नही वध तात
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| 50. | “माँगा उसने आहत पक्षी, तेरे तात किन्तु थे रक्षी,
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