| 41. | सरस्वती के स्वरूप एवं आसन आदि का संक्षिप्त तात्त्विक विवेचन इस तरह है-
|
| 42. | (कल्याणकारी) स्वरूप का तात्त्विक विवेचन, रहस्य, महिमा एवं उपासना का सुविस्तृत वर्णन है।
|
| 43. | उत्पादों की जिंक तात्त्विक रूपों भाग के ऐसे सही राशि के रूप में.
|
| 44. | सरस्वती के स्वरूप एवं आसन आदि का संक्षिप्त तात्त्विक विवेचन इस तरह है-
|
| 45. | (तात्त्विक रूप से यह पहलू माध्यमांतर का नहीं रूपान्तर का है ।
|
| 46. | गोस्वामी तुलसीदास जी ने अपनी काव्य व्यंजना में इसे तात्त्विक अभिव्यक्ति दी है।
|
| 47. | सरस्वती के स्वरूप एवं आसन आदि का संक्षिप्त तात्त्विक विवेचन इस तरह है-
|
| 48. | पश्चिमी क्षेत्रों का इन क्षेत्रों से शैली तात्त्विक संबंध स्थापित हो गया था।
|
| 49. | जहाँ तक साहित्य एक कला है, इसअन्तर को तात्त्विक अन्तर नहीं माना जा सकता.
|
| 50. | संक्षेप में ऋतम्भरा के स्वरूप, आसन आदि का तात्त्विक विवेचन इस प्रकार है-
|