| 41. | मृदु तानिका और जालक तानिका के बीच के अवकाश को अधो जालक तानिका अवकाश कहा जाता है।
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| 42. | मृदु तानिका और जालक तानिका के बीच के अवकाश को अधो जालक तानिका अवकाश कहा जाता है।
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| 43. | मृदु तानिका और जालक तानिका के बीच के अवकाश को अधो जालक तानिका अवकाश कहा जाता है।
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| 44. | मृदु तानिका और जालक तानिका के बीच के अवकाश को अधो जालक तानिका अवकाश कहा जाता है।
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| 45. | मृदु तानिका और जालक तानिका के बीच के अवकाश को अधो जालक तानिका अवकाश कहा जाता है।
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| 46. | मृदु तानिका और जालक तानिका के बीच के अवकाश को अधो जालक तानिका अवकाश कहा जाता है।
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| 47. | सबसे भीतर मृदु तानिका है, जो मेरूरज्जु के भीतर अपने प्रवर्धों और सूत्रों को भेजती है।
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| 48. | शोथ, लू लगना, मिर्गी, ज्वर, तानिका शोथ (मैंनिंगाइटिस), हृदय रोग आदि।
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| 49. | ज्वर 103 डिग्री तक हो जाता है तथा मस्तिष्क आवरण में तानिका क्षोभ (meningeal irritation) होता है।
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| 50. | सब से बाहर दृढ़ तानिका है, जो सारी कशेरूक नलिका को कशेरूकाओं के भीतर की ओर से आच्छादित करती है।
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