सूखे हुए चरौटे के पौधों को उखाड़ कर उसका “भुर्री जलाना” याने कि अलाव जलाना और “भुर्री तापना” याने कि आग तापना! कद्दू की सूखी हुई लंबी बेल तोड़ कर लाना और हम सभी बच्चों के द्वारा “भुर्री तापते” हुए उस बेल के टुकड़ों वाला सिगरेट पीना।
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प्रवाह गीली लकड़ी सियासत की सर्द आँधियों में एक गर्म सोच से डरते हो??? गर आग तापना है तो तैयार रहो काले कडुवे धुंवे को पीने के लिए पिछली रात अवांछित लकड़ियों के गट्ठर बाहर छोड़ दिए थे तुमने सत्ता में मद में चूर बेफिक्री से यू ही.....
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जाड़े की की ऋतु में धोती और दुपट्टा या कुर्ता दो वस्त्रों में गुजारा करना, रात को रुई का कपड़ा ओढक़र या कम्बल से काम चलाना, गरम पानी का प्रयोग न करके ताजे जल से स्नान करना, अग्रि न तापना, यह शीत सहन के तप हैं।
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सूखे हुए चरौटे के पौधों को उखाड़ कर उसका “ भुर्री जलाना ” याने कि अलाव जलाना और “ भुर्री तापना ” याने कि आग तापना! कद्दू की सूखी हुई लंबी बेल तोड़ कर लाना और हम सभी बच्चों के द्वारा “ भुर्री तापते ” हुए उस बेल के टुकड़ों वाला सिगरेट पीना।
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सूखे हुए चरौटे के पौधों को उखाड़ कर उसका “ भुर्री जलाना ” याने कि अलाव जलाना और “ भुर्री तापना ” याने कि आग तापना! कद्दू की सूखी हुई लंबी बेल तोड़ कर लाना और हम सभी बच्चों के द्वारा “ भुर्री तापते ” हुए उस बेल के टुकड़ों वाला सिगरेट पीना।
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कैसे भूल सकता हूँ मैं असोज के महीने में सिर पर घास के गट्ठर का ढोना, असोज में बारिश की तनिक आशंका से सूखी घास को सार के फटाफट लूटे का बनाना, फटी एड़ियों को किसी क्रैक क्रीम से नहीं बल्कि तेल की बत्ती से डामना फिर वैसलीन नहीं बल्कि मोम-तेल से उन चीरों को भरना, लीसे के छिलुके से सुबह सुबह चूल्हे का जलाना, जाड़े के दिनों में सगड़ में गुपटाले लगा के आग का तापना, “भड्डू” में पकी दाल के निराले स्वाद को पहचानना.
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कैसे भूल सकता हूँ मैं असोज के महीने में सिर पर घास के गट्ठर का ढोना, असोज में बारिश की तनिक आशंका से सूखी घास को सार के फटाफट लूटे का बनाना, फटी एड़ियों को किसी क्रैक क्रीम से नहीं बल्कि तेल की बत्ती से डामना फिर वैसलीन नहीं बल्कि मोम-तेल से उन चीरों को भरना, लीसे के छिलुके से सुबह सुबह चूल्हे का जलाना, जाड़े के दिनों में सगड़ में गुपटाले लगा के आग का तापना, “भड्डू” में पकी दाल के निराले स्वाद को पहचानना.