| 41. | अन्य सब तारागण गतिशील रहते हैं, पर ध्रुव अपने निश्चित स्थान पर ही स्थिर रहता है ।
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| 42. | छत पर चढ़कर देखा ; अंधकार छाया हुआ था, तारागण उसकी आतुरता पर हँस रहे थे।
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| 43. | तुमसे सुत को जनने वाली, जननी महती क्या है और?॥ तारागण को सर्व दिशाएँ, धरें नहीं कोई खाली।
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| 44. | अन्य सब तारागण गतिशील रहते हैं, पर ध्रुव अपने निश्चित स्थान पर ही स्थिर रहता है ।
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| 45. | अर्थात वह वहां है जहां सूर्य का प्रकाश नहीं, न चंद्र, न तारागण और न बिजली।
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| 46. | मानो तारागण को साक्षी दे रही है कि मैं इस घर में कितनी निर्दयता से निकाली जा रही
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| 47. | भार्गव! भला, जिन भाग्यवानों पर बलवान् चन्द्रमा प्रसन्न हैं तो दुर्बल तारागण रुष्ट होकर उनका क्या बिगाड सकते हैं।
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| 48. | भार्गव! भला, जिन भाग्यवानों पर बलवान् चन्द्रमा प्रसन्न हैं तो दुर्बल तारागण रुष्ट होकर उनका क्या बिगाड सकते हैं।
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| 49. | हे मुनीश्वर! संसार रूपी रात्रि है उसमें युवावस्थारूपी तारागण प्रकाशते हैं अर्थात् शरीर युवावस्था से सुशोभित होता है ।
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| 50. | मेघों को सहसा चिकनी अरुणाई छू जाती है तारागण से एक शान्ति-सी छन-छन कर आती है क्यों कि तुम हो।
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