यह logically भी सही नहीं है, क्योंकि कोई भी व्यक्ति शब्द के मूल रूप से ही सर्च करता है, उसके बहुवचन और तिर्यक् रूपों से नहीं।
42.
मध्यकाय के तीसरे, चौथे, पाँचवें और छठे खंडों की उरोस्थियाँ बहुत चौड़ी होती हैं और प्रत्येक पर दो तिर्यक् रेखाछिद्र (oblique slits) रहते हैं, जिन्हें बदुदृक् (stigmata) कहते हैं।
43.
इसके अतिरिक्त समतल धरातल ग्लोब को ध्रुव और विषुवत् रेखा के मध्य स्थित किसी बिंदु पर स्पर्श करता है तो इस प्रकार के प्रक्षेप तिर्यक् खमध्य प्रक्षेप कहलाते हैं।
44.
इसके अतिरिक्त समतल धरातल ग्लोब को ध्रुव और विषुवत् रेखा के मध्य स्थित किसी बिंदु पर स्पर्श करता है तो इस प्रकार के प्रक्षेप तिर्यक् खमध्य प्रक्षेप कहलाते हैं।
45.
वह स्याह चेहरा, टेढी मुस्कान, खडे होने की तिर्यक् भंगिमा और वह स्वरभंग करती विचित्र हँसी! कुछ देर तो मैं भय से जड बनी बैठी ही रही।
46.
वे भगवान् वास्तव में न तो देवता हैं, न असुर, न मनुष्य हैं न तिर्यक् (मनुष्य से नीची-पशु, पक्षी आदि किसी) योनी के प्राणी हैं।
47.
हिंदी में संज्ञापद में बहुवचन के तिर्यक् रूप में परसर्ग की उपस्थिति अनिवार्य है और यह सूचना हमें शब्दवृत्त में की गई उसकी प्रविष्टि से अनायास ही मिल जाती है.
48.
माँ, आऊँ (मैं); अर्सी (हम); तिर्यक क्रमश: मूँ तथा असाँ; 2. तूँ; तव्हीं, अब्हीं (तुम); तिर्यक रूप तो, तब्हाँ; 3. पुँ. हू अथवा ऊ (वह, वे), तिर्यक् रूप हुन, हुननि; स्त्री.
49.
त्रिनताक्ष (triclinic) समुदाय में तीनों अक्ष य, र ल असमान लंबाइयों के होते हैं तथा एक दूसरे पर तिर्यक् (oblique) कोण बनाते हुए झुके रहते हैं।
50.
फिर (वहाँ से निकलकर) वे तिर्यक् (पशु, पक्षी आदि) योनियों में शरीर धारण करते हैं और दस हजार जन्मों तक दुःख पाते रहते हैं॥ 3 ॥