औषधियाँ प्रत्यूर्जता के लक्षणों को कम करने में सहायता करती हैं और तीव्र तीव्रग्राहिता से स्वास्थ्य लाभ प्राप्ति में अत्यावश्यक हैं लेकिन प्रत्यूर्ज गड़बड़ियों के दीर्घकालिक इलाज में थोड़ी भूमिका निभाती हैं।
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एक नए अध्ययन से उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी तीव्रग्राहिता के बीच तीव्रग्राहिता की घटना में मजबूत भिन्नता से पता चलता है एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया है कि एपिनेफ्रीन के साथ इलाज के बिना घातक हो सकता है है.
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एक नए अध्ययन से उत्तरी और दक्षिणी अमेरिकी तीव्रग्राहिता के बीच तीव्रग्राहिता की घटना में मजबूत भिन्नता से पता चलता है एक गंभीर एलर्जी प्रतिक्रिया है कि एपिनेफ्रीन के साथ इलाज के बिना घातक हो सकता है है.
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यद्यपि परिहार लक्षणों को कम करने में सहायता कर सकता है और जीवन घातक तीव्रग्राहिता को रोक सकता है पर इस पर सफल होना उनके लिए कठिन है जो पराग या इसी तरह के वायुवाहित प्रत्यूर्जताओं वाले हैं।
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मनुष्यों में तीव्रग्राहिता प्राय: तब देखी जाती है जब डिप्थीरिया, धनुस्तंभ इत्यादि का रक्तोद शरीर में सुई द्वारा प्रविष्ट किया जाता है और इससे आशंका, श्वासकष्ट, रक्तचाप में गिरावट तथा कभी कभी आक्षेप इत्यादि लक्षण प्रकट हुआ करते हैं।
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मनुष्यों में तीव्रग्राहिता प्राय: तब देखी जाती है जब डिप्थीरिया, धनुस्तंभ इत्यादि का रक्तोद शरीर में सुई द्वारा प्रविष्ट किया जाता है और इससे आशंका, श्वासकष्ट, रक्तचाप में गिरावट तथा कभी कभी आक्षेप इत्यादि लक्षण प्रकट हुआ करते हैं।
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मूंगफली के लिए एक एलर्जी जीवन के लिए खतरा एलर्जी तीव्रग्राहिता और पिछले अनुसंधान के रूप में जाना जाता है प्रतिक्रिया के बच्चों में सबसे आम कारण है सोया उत्पादों का उपयोग और मूंगफली एलर्जी के विकास के बीच एक कड़ी का सुझाव दिया.
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रक्त आधान प्राप्त करने से जुड़े हुए अन्य जोखिमों में शामिल हैं मात्रा अधिभार, लौह अधिभार (बहु लाल रक्त कोशिका आधान सहित), आधान से जुड़े निरोप-बनाम-परपोषी रोग, तीव्रग्राहिता संबंधी प्रतिक्रियाएं (IgA की कमी वाले लोगों में), एवं एक्यूट रक्तसंलायी प्रतिक्रियाएं (अधिक आम तौर पर बेमेल रक्त प्रकारों के प्रयोग के कारण).
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तीव्रग्राहिता (Anaphlaxis) अथवा तीव्रग्राहिताजन्य स्तब्धता (shock) जीवित प्राणी की शरीरगत उस विशेष अवस्था को कहते हैं जो शरीर में किसी प्रकार के बाह्य प्रोटीन को प्रथम बार सुई द्वारा प्रविष्ट करने के तत्काल बाद, अथवा कुछ दिनों के उपरांत, दूसरी बार उसी प्रोटीन को सुई के द्वारा प्रविष्ट कराते ही प्रकट होती है।
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इन्होंने 1928 ई0 में परीक्षणों द्वारा यह सिद्ध किया कि तीव्रग्राहिता की उत्पत्ति का मुख्य कारण जीव के शरीर की कोशिकाओं एवं ऊतकों में बाह्य प्रोटीन के द्वारा उत्पन्न प्रतिजन (antigen) तथा शरीर में अंदर से प्रत्युत्पन्न रोगप्रतिकारक प्रतिपिंड (antibodies) की आपस में परस्पर क्रिया है, जिसके फलस्वरूप हिस्टामिन (histamine) नामक पदार्थ की प्रत्युत्पत्ति होती है।