गुरु ने मंगाई भिक्षा, चेला झोली भरके लानाहो चेला झोली भरके लाना...पहली भिक्षा आटा लाना, गांव बस्ती के बीच न जानानगर द्वार को छोडके चेला, दौरी भरके आनाहो चेला झोली भरके लाना...दूसरी भिक्षा पानी लाना, नदी तलाब के पास न जानाकुआं-वाव को छोड़के चेला, तुम्बा भरके लानाहो चेला झोली भरके लाना...तीसरी भिक्षा लकड़ी लाना,
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जिस देश में समाज सुधार के लिए अनेक समाज सेवी, संगठन, विद्वान, स्वयं सेवक बरसाती कुकुरमुत्तो की तरह फ़ैल कर अंधविश्वास, पूजापाठ, धर्मकर्म के पालन एवं परम्परा के उन्मूलन का तुम्बा उठाये गली गली भौंकते फिर रहे हैं, वह देश उतनी ही तीव्र गति से घोटाले, चोरी, बलात्कार एवं ठगी में अपना नाम “
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जहाँ तक पशुवध की बात है तो भारत के कई मंदिरों में तो ये घिनौना काम खुलेआम होता है मगर हाँ इसे त्योहार कि शक्ल दे देना बहुत ही खेदजनक है और ऐसी परम्पराओं के निर्वाह से पहले किसी को खुद से पूछना चाहिए कि क्या कोई पैग़म्बर इस तरह की हिंसा की बात कर सकता होगा? बक़रीद की कथा के अनुसार हज़रत इब्राहीम ने अपने बेटे की क़ुर्बानी दी मगर उसकी जगह तुम्बा निकला ।
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जहाँ तक पशुवध की बात है तो भारत के कई मंदिरों में तो ये घिनौना काम खुलेआम होता है मगर हाँ इसे त्योहार कि शक्ल दे देना बहुत ही खेदजनक है और ऐसी परम्पराओं के निर्वाह से पहले किसी को खुद से पूछना चाहिए कि क्या कोई पैग़म्बर इस तरह की हिंसा की बात कर सकता होगा? बक़रीद की कथा के अनुसार हज़रत इब्राहीम ने अपने बेटे की क़ुर्बानी दी मगर उसकी जगह तुम्बा निकला ।