| 41. | बर्बरीक ने चुनौती स्वीकार की और अपने तूणीर से एक बाण निकाला और ईश्वर को स्मरण कर बाण पेड़ के पत्तों की ओर चलाया।
|
| 42. | अग्निदेव ने अर्जुन को ' गांडीव ' नाम का विशाल धनुष, ' अक्षय तूणीर ' तथा ' नंदिघोष ' नाम का विशाल रथ दिया।
|
| 43. | ऊन्होने तत्काल अपना हाथ तूणीर में रखे बाण पर रखा परन्तु दाएं हाथ कि अंगुली बाण के पंखों में चिपक गई और उनका हाथ बंध गया.
|
| 44. | ज्योति-शर से पूर्व का रीता अभी तूणीर भी है, कुहर-पंखों से क्षितिज रूँधे विभा का तीर भी है, क्यों लिया फिर श्रांत तारों ने बसेरा है?
|
| 45. | नहीं तो पितामह को कोई नहीं रोक सकता था, उनकी तूणीर में रखे पाँच, अभिमंत्रित बाण, इन पांचो के नाम के गवाह हैं.
|
| 46. | अंतर इतना ही है कि यहां राम बाण छोड़ देते हैं, जो पाताल तक जा पहुंचता है और फिर पुन: राम के तूणीर में प्रवेश भी करता है।
|
| 47. | ज्योति-शर से पूर्व का रीता अभी तूणीर भी है, कुहर-पंखों से क्षितिज रूँधे विभा का तीर भी है, क्यों लिया फिर श्रांत तारों ने बसेरा है?
|
| 48. | दो नील कमल हैं शेष अभी, यह पुरश्चरण पूरा करता हूँ देकर मातः एक नयन।”-कहकर देखा तूणीर ब्रह्मशर रहा झलक, ले लिया हस्त, लक-लक करता वह महाफलक।
|
| 49. | ज्योति-शर से पूर्व का रीता अभी तूणीर भी है, कुहर-पंखों से क्षितिज रूँधे विभा का तीर भी है, क्यों लिया फिर श्रांत तारों ने बसेरा है?
|
| 50. | दो नील कमल हैं शेष अभी, यह पुरश्चरण पूरा करता हूँ देकर मात एक नयन।' कहकर देखा तूणीर ब्रह्मशर रहा झलक, ले लिया हस्त लक लक करता वह महाफलक।
|