रेगिस्तान में रहने वाले भारतीय कहते हैं कि धूम्रपान करने से जुकाम ठीक हो जाता है, खासकर यदि तम्बाकू में तेजपात के छोटे पत्ते तेजपात की डोरी या भारतीय गुलमेंहदी या खांसी मूल
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छोटी इलायची के बीज 6 ग्राम, तेजपात 6 ग्राम, दालचीनी 6 ग्राम, मुलहठी 40 ग्राम इन सभी को महीन पीस-छानकर तथा शहद मिलाकर झरबेरी के बराबर आकार की गोलियां बनाकर रख लेते हैं।
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कुछ महीने तेजपात की फंकी लेने से गर्भाशय की शिथिलता दूर होकर गर्भाधान हो जाता है जिन स्त्रियों को गर्भस्राव होता है, उन्हें गर्भवती होने के बाद कुछ महीने तेजपत्ते के पाउडर की फंकी लेनी चाहिए।
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गले या सीने में जलन हो, शरीर में एसिड बहुत बनता हो तो वंशलोचन, छोटी इलायची, तेजपात, छोटी हरड़, मोथा, बच, आंवला, अकरकरा सबको समान मात्रा में लेकर चूर्ण बना लें।
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हमेशा की तरह ही आपने इस बार दालचीनी / तेजपात व पपीते के बारे में बहुत अच्छी जानकारी से अवगत कराया है, धन्यवाद, इससे पिछली पोस्ट में भी सेहनामा था पर साथ में समसामयिक राजनैतिक विषय का धालमेल था.
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इस नीम का एक कुहकी रूप है ' महानिम्ब ' या ' बकायन ' जिसके पत्ते भी नीम की तरह सीकों पर लगते हैं और ये पत्तियाँ कटुतिक्त नहीं होतीं तथा अपने द्रव्य-गुण के कारण दक्षिण भारत में तेजपात की तरह इसका प्रयोग होता है।
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गर्भाशय की शिथिलता (ढीलापन) के चलते यदि गर्भाधान न हो रहा तो तेजपात (तेजपत्ता का चूर्ण) 1 से 4 ग्राम की मात्रा में सुबह-शाम सेवन करने से गर्भाशय की शिथिलता दूर हो जाती है तथा स्त्री गर्भधारण के योग्य बन जाती है।
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इसके बाद छिली हुई छोटी इलायची के दानो में पिप्पली, बंशलोचन, दालचीनी, तेजपात, नागकेशर को मिक्सी में एकदम बारीक पीस लीजिये | अब इस पिसी सामग्री को शहद और केसर में मिलाकर आंवले के मिश्रण में अच्छी तरह से मिला दीजिये.
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इन अचारों के निर्माण में मुख्य रूप से सौंफ, कलौंजी, मेथी, हींग, अजवायन, चार प्रकार के नमक, गरम मसाला, लौंग, डोडा, दालचीनी, तेजपात, धनिया, जीरा, राई, हल्दी, लालमिर्च आदि का उपयोग किया जाता है।
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रेगिस्तान में रहने वाले भारतीय कहते हैं कि धूम्रपान करने से जुकाम ठीक हो जाता है, खासकर यदि तम्बाकू में तेजपात के छोटे पत्ते तेजपात की डोरी या भारतीय गुलमेंहदी या खांसी मूल Leptotaenia multifida मिला दिये जायें, जो इसके अतिरिक्त अस्थमा और तपेदिक के लिए विशेष रूप से अच्छा माना गया.