गोबर के कंडे जलाकर गूगल का धूप करना, कपूर जलाना, चंदन, कपूर व केसर का तिलक करना, आँखों में अंजन लगाना, नाक व कान में गुनगुना तिल का तेल डालना-ये वसंत ऋतु के स्वास्थ्य-रक्षक विशेष उपक्रम हैं।
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सिर पर तेल की मालिश, पैर के तलुओं में घी की मालिश, कान में नियमित तेल डालना, संवाहन (अंग दबवाना), घी, दूध (विशेषतः भैंस का) दही व भात का सेवन, सुखकर शय्या व मनोकूल वातावरण से अनिद्रा दूर होकर शीघ्र निद्रा आ जाती है।
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सिर पैर तेल की मालिश, पैर के तलुओं में घी के मालिश, कान में नियमित तेल डालना, संवहन (अंग दबाना), घी, दूध, (विशेषता: भैंस का), दही व भात का सेवन, सुक्कर शय्या व मनोनुकूल वातावरण से अनिद्रा दूर होकर शीघ्र निद्रा आ जाती है |
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मैं जलाऊं दीप संग दीप तुम उनमें उम्मीद का तेल डालना कुछ ऐसे कि वो देर रात तक जलते रहें मां लक्ष्मी के आगमन तक विश्वास की बाती जब जलेगी तो उस प्रकाश से अलौकिक होगी हर घर की दहलीज तब अंधकार दूर छिटक जाएगा सूनी गलियां रौशन होंगी जहां दीवारो पे होंगी जगमगाती झालरें खुशियों से दमकेंगे चेहरे हर हांथ में होगा कुछ मीठा लबों पे सबके होगा संदेश दीपावली की शुभकामनाओं का यह पल होगा प्यारा हम सबकी भावनाओं का....!!!! कोई अवशेष रह न जाए...