भुवनेश् वर, पुणे, मैसूर, पटियाला, गुवाहाटी, सोलन तथा लखनऊ में स्थित इसके क्षेत्रीय भाषा केन् द्र सरकार के त्रिभाषा सूत्र (फार्मूला) के कार्यान् वयन तथा शिक्षण सामग्री को तैयार करने के लिए कार्य करते हैं।
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त्रिभाषा सूत्र के अंतर्गत यह प्रस्तावित किया गया कि हिन्दी भाषी क्षेत्रों में हिन्दी व अंग्रेज़ी के अतिरिक्त दक्षिणी भारतीय भाषाओं में से किसी एक को तथा अहिन्दी भाषी क्षेत्रों में प्रादेशिक भाषा व अंग्रेज़ी के साथ-साथ हिन्दी को पढ़ाने की व्यवस्था की जाए।
43.
किसी ने भी हमारी राजभाषा हिंदी के बारे में भी चिंता नहीं जताई और न ही प्रयास किया कि देश में त्रिभाषा सूत्र लागू कराकर कश्मीर से कन्याकुमारी तथा गुजरात से पूर्वोत्तर राज्यों को एक देश मानकर राजभाषा हिंदी को उच्च शिक्षा के लिए सशक्त बनाया जा सके।
44.
जब केंद्र की शिक्षा क्षेत्र के लिए बनी त्रिभाषा सूत्र (Three Language Formula) को ही कुछ राज्यों ने अस्वीकार करते हुए हिंदी को न अपनाने की बात कर दी, और दुर्भाग्य से उनका रवैया आज भी वही है, तो ऐसा कैसे सोचा जा सकता है कि सभी राज्य अंगरेजी छोड़ने को तैयार होंगे कभी?
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गृह मंत्रालय द्वारा हिन्दी को क्रमश: शासन तंत्र में अर्थात प्रशासन में प्रवेश कराने के प्रयत्न दशकों से हो रहे हैं, जो संतोष जनक नहीं है वैसे 1965 में तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री की अध्यक्षता में संपन्न मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में सर्वसम्मति से सभी राज्यों में त्रिभाषा सूत्र अमल करने का निश्चय हुआ था-प्रथम भाषा-मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा, द्वितीय भाषा हिन्द या तृतीय भाषा के रूप में अँगरेज़ी पढ़ाई जाए।
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गृह मंत्रालय द्वारा हिन्दी को क्रमश: शासन तंत्र में अर्थात प्रशासन में प्रवेश कराने के प्रयत्न दशकों से हो रहे हैं, जो संतोष जनक नहीं है वैसे 1965 में तत्कालीन प्रधान मंत्री स्वर्गीय श्री लालबहादुर शास्त्री की अध्यक्षता में संपन्न मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन में सर्वसम्मति से सभी राज्यों में त्रिभाषा सूत्र अमल करने का निश्चय हुआ था-प्रथम भाषा-मातृभाषा या क्षेत्रीय भाषा, द्वितीय भाषा हिन्द या तृतीय भाषा के रूप में अँगरेज़ी पढ़ाई जाए।
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व् यावहारिक रूप से त्रिभाषा सूत्र के कार्यान् वयन की कठिनाइयों में मुख्य है स् कूल पाठ्यक्रम में भाषा में भारी बोझ का सामान् य विरोध, हिंदी क्षेत्रों में अतिरिक् त आधुनिक भारतीय भाषा के अध् ययन के लिए अभिप्रेरण (मोटिवेशन) का अभाव, कुछ हिंदीतर भाषी क्षेत्रों में हिंदी के अध् ययन का विरोध तथा पांच से छह साल तक, कक्षा छठी से दसवीं तक दूसरी और तीसरी भाषा के लिए होने वाला भारी खर्च और प्रयत्न।