एल्फोंसे गेब्रिएल कपोन का जन्म न्यू यॉर्क सिटी गेब्रिएल नेपल्स, इटली के लगभग दक्षिण में स्थित एक शहर कैस्टेलामेयर डी स्टेबिया के एक नाई (बार्बर) थे. टेरेसिना एक दर्जिन (सिलाई-कढ़ाई करने वाली) थीं और सालेर्मो प्रान्त में स्थित एक शहर आन्ग्री के निवासी एंजेलो रायोला की पुत्री थीं.
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उनके पिता का नाम गेब्रिएल कपोन (12 दिसंबर, 1864-14 नवंबर, 1920) तथा माँ का नाम टेरेसिना कपोन (28 दिसंबर, 1867-29 नवंबर, 1952) था.[3] गेब्रिएल नेपल्स, इटली के लगभग 16 मील (26 कि.मी.) दक्षिण में स्थित एक शहर कैस्टेलामेयर डी स्टेबिया के एक नाई (बार्बर) थे. टेरेसिना एक दर्जिन (सिलाई-कढ़ाई करने वाली) थीं और सालेर्मो प्रान्त में स्थित एक शहर आन्ग्री के निवासी एंजेलो रायोला की पुत्री थीं.
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उनके पिता का नाम गेब्रिएल कपोन (12 दिसंबर, 1864-14 नवंबर, 1920) तथा माँ का नाम टेरेसिना कपोन (28 दिसंबर, 1867-29 नवंबर, 1952) था.[3] गेब्रिएल नेपल्स, इटली के लगभग 16 मील (26 कि.मी.) दक्षिण में स्थित एक शहर कैस्टेलामेयर डी स्टेबिया के एक नाई (बार्बर) थे. टेरेसिना एक दर्जिन (सिलाई-कढ़ाई करने वाली) थीं और सालेर्मो प्रान्त में स्थित एक शहर आन्ग्री के निवासी एंजेलो रायोला की पुत्री थीं.
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पिछली बार हमने आपका परिचय सोवियत काल के रूसी लेखक अलेक्सेई तोलस्तोय से करवाया था | रूसी कालजयी साहित्य की परम्पराओं पर चलते हुए वह अपनी रचनाओं में आम आदमी के जीवन के दर्पण में युगांतरकारी ऐतिहासिक घटनाओं को प्रतिबिंबित करते थे | तो लीजिए, प्रस्तुत है उनकी ऐसी ही एक कहानी | प्रथम विश्व-युद्ध, 1917 की फरवरी और अक्टूबर क्रांतियां और फिर गृह-युद्ध-इन सबके पाटों में पिसी एक सीधी-सादी दर्जिन की ज़िंदगी | कात्या नाम की यह दर्जिन ही है “
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पिछली बार हमने आपका परिचय सोवियत काल के रूसी लेखक अलेक्सेई तोलस्तोय से करवाया था | रूसी कालजयी साहित्य की परम्पराओं पर चलते हुए वह अपनी रचनाओं में आम आदमी के जीवन के दर्पण में युगांतरकारी ऐतिहासिक घटनाओं को प्रतिबिंबित करते थे | तो लीजिए, प्रस्तुत है उनकी ऐसी ही एक कहानी | प्रथम विश्व-युद्ध, 1917 की फरवरी और अक्टूबर क्रांतियां और फिर गृह-युद्ध-इन सबके पाटों में पिसी एक सीधी-सादी दर्जिन की ज़िंदगी | कात्या नाम की यह दर्जिन ही है “
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हाँ लेकिन यह बात मुझे बहुत रोचक लगी जिस तरह झंडे के रंगों और रुमालों की गिनती का विश्लेषण किया गया, जबकि मुझे सिर्फ यह लगा कि झंडे का अगर सामान्य साइज़ देखा जाए तो उस में से तीन रुमाल ठीक ठाक आकार के बनाये जा सकते है जिससे मुंह पोंछा जा सके या सिल्वर फोयिल (:-)) खत्म होने पर रोटियां लपेटी जा सकें, दर्जिन के लिए यह साधारण लॉजिक भी हो सकता है पर कल्चरल स्टडीज़ के युग में मासूम और निर्दोष क्या बचा है!