| 41. | और उन श्लोकों में नारद स्मृति दासों का उल्लेख पाँचवे वर्ण के रूप में करती है।
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| 42. | घ. दासता (धारा ३७०-३७१)-भारतीय दंड संहिता के अनुसार दासों का क्रय विक्रय दंडनीय है।
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| 43. | कहते हैं, उस समय कुछ प्रमुख बाजारों में दस हजार दासों का प्रतिदिन सौदा होता था।
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| 44. | एथेंस, साइप्रस तथा सेमोस के दासबाजारों में एशियाई, अफ्रीकी अथवा यूरोपीय दासों का क्रय विक्रय होता था।
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| 45. | एथेंस, साइप्रस तथा सेमोस के दासबाजारों में एशियाई, अफ्रीकी अथवा यूरोपीय दासों का क्रय विक्रय होता था।
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| 46. | बहुसंख्यक दासों का अपने शोषण और उत्पीड़न पर खड़ी व्यवस्था से कोई लगाव न होना स्वाभाविक था।
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| 47. | बहुसंख्यक दासों का अपने शोषण और उत्पीड़न पर खड़ी व्यवस्था से कोई लगाव न होना स्वाभाविक था।
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| 48. | कहते हैं, उस समय कुछ प्रमुख बाजारों में दस हजार दासों का प्रतिदिन सौदा होता था।
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| 49. | शुरू में नये व्यवसायों व निर्माण कार्यों के लिए बड़े पैमाने पर दासों का व्यापार भी हुआ।
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| 50. | (यूनान की प्रचिलित दास व्यवस्था के कारण स्त्रबो ने भी दासों का उल्लेख आवश्यक नहीं समझा होगा)।
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