इस प्रकार दीपस्तंभ का इतिहास यद्यपि दो हजार वर्ष से भी अधिक प्राचीन है, फिर भी प्राणरक्षा के साथ साधन के रूप में दीपस्तंभों की नियमित व्यवस्था 19वीं शती में ही प्रारंभ हुई।
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ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, और संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, जैसे देशों में ता समुद्रतट पर बड़ी संख्या में दीपस्तंभ हैं और उनकी व्यवस्था के लिए विशेष सरकारी संस्थान हैं, किंतु भारत में समुद्रतल अभी तक वैसा महत्व नहीं प्राप्त कर सका।
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ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, और संयुक्त राष्ट्र, अमरीका, जैसे देशों में ता समुद्रतट पर बड़ी संख्या में दीपस्तंभ हैं और उनकी व्यवस्था के लिए विशेष सरकारी संस्थान हैं, किंतु भारत में समुद्रतल अभी तक वैसा महत्व नहीं प्राप्त कर सका।
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अंत में बस इतना कि राजेंद्र यादव के आलोचक आज चाहे जितना दंभ कर लें, समय की छननी में उनके नाम कहीं दूर बिला जाएंगे, मगर राजेंद्र यादव साहित्य-जगत में दीपस्तंभ की भांति रहेंगे, उनके संपादकीय अपने युग की आवाज की तरह पढ़े जाएंगे.
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मंदिर के चारों ओर मजबूत दीवारें हैं, मंदिर परिसर के अन्दर विशाल बरामदा तथा सभामंडप है यह सभामंडप साग की मजबूत लकड़ी से निर्मित है तथा यह बिना किसी सहारे के खड़ा है, मंदिर के बहार ऊँचा दीप स्तम्भ है तथा दीपस्तंभ से ही लगी हुई है पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की नयनाभिराम प्रतिमा.
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मंदिर के चारों ओर मजबूत दीवारें हैं, मंदिर परिसर के अन्दर विशाल बरामदा तथा सभामंडप है यह सभामंडप साग की मजबूत लकड़ी से निर्मित है तथा यह बिना किसी सहारे के खड़ा है, मंदिर के बहार ऊँचा दीप स्तम्भ है तथा दीपस्तंभ से ही लगी हुई है पुण्यश्लोक देवी अहिल्याबाई की नयनाभिराम प्रतिमा.
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यदि चट्टानों पर नींव के लिए पर्याप्त स्थान न हो, या बलुआ तट हो और उसकी बालू खिसक जाने की संभावना हो, अथवा ऐसी ही अन्य परिस्थितियाँ हों, जिनके कारण दीपस्तंभ खड़ा करना असंभव हो या अत्यधिक महँगा हो, तो वहाँ पथप्रदर्शन के लिए एक जहाज रखा जाता है, जो अपने मस्तूल पर दीप लिए हुए आसपास घूमता रहता है।
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यदि चट्टानों पर नींव के लिए पर्याप्त स्थान न हो, या बलुआ तट हो और उसकी बालू खिसक जाने की संभावना हो, अथवा ऐसी ही अन्य परिस्थितियाँ हों, जिनके कारण दीपस्तंभ खड़ा करना असंभव हो या अत्यधिक महँगा हो, तो वहाँ पथप्रदर्शन के लिए एक जहाज रखा जाता है, जो अपने मस्तूल पर दीप लिए हुए आसपास घूमता रहता है।
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उसका अपना कोई सुनिश्चित, दृढ और मान्य (मानवीय सरोकार से जुडा) उद्देश्य है? है तो सही, पर कहने और बताने के लिए | उसका आधार अब फैली हुई पाँच अँगुलियों की तरह बिखर गया है | इसलिए मुट्ठी में कसाव नहीं आ पा रहा है | वातावरण के कुहासे ने आँख के सामने को धुंधला कर दिया है और कई दीपस्तंभ एक साथ है | कभी यह भी शक हो जाता है कि यह धुंधलका आँख का हिस्सा तो नहीं बन गया है |