सारणी 1 और सारणी 2 की विश्लेषण करने पर सबसे ज़्यादा पैदावार ओक्टोबर से लेकर जनुवरी तक है और उसी समय पर देशी बाजार में आर. एस. एस 4 की दाम अंतरदेशीय बाजार (Bangkok) की आर. एस. एस 3 से ऊपर दाम रहा हैं।
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फौजी आपूर्तियों के लिए प्राप्त भारी ऑर्डरों की बदौलत तथा युध्द के दौरान आयात के अभाव के चलते देशी बाजार की माँग का भरपूर लाभ उठाकर भारतीय उद्योगपतियों ने काफी पूँजी संचित की तथा शेयरों की खरीद के जरिये उन क्षेत्रों में भी प्रवेश किया (जैसे चाय बागान, जूट उद्योग आदि) जो अब तक ब्रिटिश पूँजी के अनन्य क्षेत्र थे।
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फौजी आपूर्तियों के लिए प्राप्त भारी ऑर्डरों की बदौलत तथा युध्द के दौरान आयात के अभाव के चलते देशी बाजार की माँग का भरपूर लाभ उठाकर भारतीय उद्योगपतियों ने काफी पूँजी संचित की तथा शेयरों की खरीद के जरिये उन क्षेत्रों में भी प्रवेश किया (जैसे चाय बागान, जूट उद्योग आदि) जो अब तक ब्रिटिश पूँजी के अनन्य क्षेत्र थे।
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फौजी आपूर्तियों के लिए प्राप्त भारी ऑर्डरों की बदौलत तथा युध्द के दौरान आयात के अभाव के चलते देशी बाजार की माँग का भरपूर लाभ उठाकर भारतीय उद्योगपतियों ने काफी पूँजी संचित की तथा शेयरों की खरीद के जरिये उन क्षेत्रों में भी प्रवेश किया (जैसे चाय बागान, जूट उद्योग आदि) जो अब तक ब्रिटिश पूँजी के अनन्य क्षेत्र थे।