इस कारण त्रिस्तरी को फिर दो भागों में बाँटा जाता है-एक तो सदेहगुहा (सीलोमाटा), जिनमें देहगुहा वर्तमान रहती है, और दूसरी अदेहगुहा, जिनमें देहगुहा की जगह केवल मूलोति रहता है।
42.
यदि मृत्यु का कारण रोग न होकर कोई आकस्मिक दुर्घटना विषपान, अथवा अन्य कोई कारण हो, तो देहगुहा के तंत्र रक्षित विलयन में सुरक्षित रखे जाते हैं, तत्पश्चात् रासायनिक परीक्षण द्वारा परीक्षा होने पर मृत्यु का उचित कारण ज्ञात किया जाता है।
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यदि मृत्यु का कारण रोग न होकर कोई आकस्मिक दुर्घटना विषपान, अथवा अन्य कोई कारण हो, तो देहगुहा के तंत्र रक्षित विलयन में सुरक्षित रखे जाते हैं, तत्पश्चात् रासायनिक परीक्षण द्वारा परीक्षा होने पर मृत्यु का उचित कारण ज्ञात किया जाता है।