(ब) त्रिविम खमध्य प्रक्षेप: इसमें किसी ध्रुव को द्युतिमान बिंदु माना जाता है और समतल धरातल दूसरे ध्रुव पर अथवा किसी अन्य बिंदु पर स्पर्श करता है।
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यह धरातल ग्लोब को किसी एक बिंदु पर स्पर्श करता है और इस अवस्था में किसी द्युतिमान बिंदु से प्रकाश डाल कर रेखाजाल प्राप्त किया जाता है ।
43.
यह धरातल ग्लोब को किसी एक बिंदु पर स्पर्श करता है और इस अवस्था में किसी द्युतिमान बिंदु से प्रकाश डाल कर रेखाजाल प्राप्त किया जाता है ।
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इन प्रक्षेपों में ग्लोब के केंद्र को यदि द्युतिमान बिंदु माना जाता है तो अक्षांश रेखाओं के बीच की दूरी ध्रुवों की ओर एक साथ बढ़ती जाती है।
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अब आपको यह विश्वास तो हो जाएगा कि वाल्मीकि ऋषि को ऐसी द्युतिमान औषधियों के विषय में ज्ञान था, और वह किसी कवि की कोरी कल्पना नहीं थी।
46.
गैलरी में जाता हूँ, देखता हूँ रास्ता वह कोलतार-पथ अथवा मरी हुई खिंची हुई कोई काली जिह्वा बिजली के द्युतिमान दिये या मरे हुए दाँतों का चमकदार नमूना!!
47.
दिति और अदिति और उनकी सन्ततियां द्युतिहीन दानव, द्युतिमान देवता-कहनें का तात्पर्य कि यह वैदिक कास्मोलाजिकल टर्म हैं, जिसके विग्यान को विस्तार में जाये बिना समझा-समझाया नहीं जा सकता.
48.
पूनम गौर कपोल विराजे अधर हँसें उर अरुणीली, कुन्तल-लट से लिपटी संध्या श्यामा अंजन-रेख नशीली, सारे सागर, दिशि भू-अम्बर तुमसे ही द्युतिमान चराचर रवि न उगे तो बात न कोई तुम न उगे उजियार न होगा।
49.
पूनम गौर कपोल विराजे अधर हँसें उर अरुणीली, कुन्तल-लट से लिपटी संध्या श्यामा अंजन-रेख नशीली, सारे सागर, दिशि भू-अम्बर तुमसे ही द्युतिमान चराचर रवि न उगे तो बात न कोई तुम न उगे उजियार न होगा।
50.
आकर्षक वर्णों और गुणों से समन्वित ऋतुपति के सेनानायक को नमस्कार! मधुऋतु के अग्रसर को नमस्कार! कामदेव के द्युतिमान सखा को नमस्कार और कवियों के आलंबन, प्रेमियों के उद्दीपन को शत शत नमस्कार!