| 41. | निर्वाण को विशुद्ध, गैर द्वैतवादी 'उत्कृष्ट मन' की तरह दिखाने का विचार महायान/तांत्रिक ग्रंथों में भी मिलता है.
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| 42. | स्वामी माधवाचार्य (संवत् 1254-1333) ने 'ब्राह्म सम्प्रदाय' नाम से द्वैतवादी वैष्णव सम्प्रदाय चलाया जिसकी ओर लोगों का झुकाव हुआ।
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| 43. | इसीलिये कोई ज्ञानी द्वैत अर्थात आत्मा तथा परमात्मा की अनुभूति अलग अलग करता है और द्वैतवादी बन जाता है।
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| 44. | परंतु द्वैतवादी परमात्मा को पुरुष और उसके साथ विद्यमान प्रकृति को मिलाकर सृष्टि का अंतिम सत्य मानते हैं ।
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| 45. | द्वैतवादी सहित सभी हिन्दु इस बात में एक मत है कि कष्टों के लिए व्यक्ति स्वयं ही जिम्मेदार होता है।
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| 46. | स्वामी माधवाचार्य (संवत् 1254-1333) ने 'ब्राह्म सम्प्रदाय ' नाम से द्वैतवादी वैष्णव सम्प्रदाय चलाया जिसकी ओर लोगों का झुकाव हुआ।
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| 47. | ‘कैसे? ' ‘जब कोई अद्वैतवादी द्वैतवादी से शास्त्रार्थ करना स्वीकार कर ले, तो समझो कि उसने पहले ही हार मान ली है.'
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| 48. | द्वैतवादी “एक ही वृक्ष पर सटे बैठे दो पक्षी मित्रों में एक पीपल के मीठे-मीठे गोदे खाता और दूसरा ताकता मात्र है”
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| 49. | द्वैतवादी “एक ही वृक्ष पर सटे बैठे दो पक्षी मित्रों में एक पीपल के मीठे-मीठे गोदे खाता और दूसरा ताकता मात्र है”
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| 50. | ' वासना और भावनात्मक दोष से रिक्त, जिस पर द्वैतवादी दृष्टिकोण के बादल न हों, ऐसा उत्कृष्ट मन ही वास्तव में परम निर्वाण है.'[35]
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