| 41. | लगे उपचार में भौरे, मगर व्रण हो सघन चमका।।।४।।। “हरि” उत्सव रचाया क्या, धरित्री पर पुरन्दर ने।
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| 42. | है बहुत बरसी धरित्री पर अमृत की धार, पर नहीं अब तक सुशीतल हो सका संसार ।
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| 43. | पृथ्वी, धरती, धरा, भू, वसुंधरा, वसुन्धरा, धरणि, धरित्री, 11.
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| 44. | अस्थि-मांस का एक-दूसरे से लग रहा तनाव, निर्जल फटी धरित्री जैसे, फटे हुए थे पाँव!!.
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| 45. | विगत दो दशकों में सारी धरित्री पर बेडौल शरीर वाले-मोटे शरीर वाले बीमार किशोरों-युवाओं की संख्या तेजी से बढ़ी है।
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| 46. | धरित्री ने कभी स्वयं को पलामू और पिट्सबर्ग करके देखा भी कहाँ! इस बहुत सुन्दत, सचित्र आलेख का आभार अनुराग सर!
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| 47. | कर्मेशु मंत्री ; कार्येशु दासी ; रुपेशु लक्ष्मी ; क्षमाया धरित्री ; भोज्येशु माता ; शयनेशु रम्भा ; सत्कर्म नारी कुलधर्मपत्नी।
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| 48. | माँ धरित्री! तू फट क्यों नहीं जाती? वह अपना अपमान नहीं सह सकता, उसे तू कैसे सह रही है?
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| 49. | धरित्री ने कभी स्वयं को पलामू और पिट्सबर्ग करके देखा भी कहाँ! इस बहुत सुन्दत, सचित्र आलेख का आभार अनुराग सर!
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| 50. | पूत से कातर धरित्री कह रही है॥ प्राणपण से मातृ अर्चन का समय है॥ दे व... ॥ देव संस्कृति का पुनः विस्तार करने।
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