9 अप्रैल 1941 को नेताजी जर्मन सरकार के सामने अपना वक्तव्य (Memorandum) प्रस्तुत करते हैं, जिसमें धुरी राष्ट्र और भारत के बीच सहयोग, यूरोप (जहाँ तक हो सके, बर्लिन) में ‘ स्वतंत्र भारत सरकार ' के गठन, एक स्वतंत्र भारत रेडियो प्रसारण, अफगानिस्तान (काबुल) में भूमिगत कार्रवाई, ऋण के रूप में (इस) स्वतंत्र भारत सरकार को जर्मन आर्थिक सहायता और भारत में ब्रिटिश सेना को हराने के लिए जर्मन सेना की मदद का जिक्र होता है।