चाय की थोक क़ीमतों और निर्यात में कमी, आदानों की लागत में वृद्धि, बड़ी संख्या में राज्य विद्युत बोर्ड के देनदार, विद्युत उत्पादों के उन्नयन में विफलता और निधियन के अभाव में विद्युत उपकरणों के प्रमाण-पत्रों को पुनर्वैध न कर पाना, कार्यशील पूंजी की समस्या, बैंक गांरटी की ज़रुरत के कारण निविदाओं में भाग न लेसकना, आवश्यकता से अधिक जनशक्ति, ज़रुरत आधारित कार्यशील पूंजी मुहैया कराने में बैंकों की अनिच्छा, निष्क्रीय नकदी ऋण खाते, अपर्याप्त निवेश/आधुनिकीकरण, विक्रेताओं के विश्वास में कमी तथा सीमित उत्पाद विविधीकरण इसकी खराब स्थिति के मुख्य कारण थे।