नगरीय जीवन का यह पक्ष एक नयी समस्या लाता है, पत्तों को समेटने की समस्या और यदि उन्हें तुरन्त न समेटा जाये तो वह कूड़े के रूप में नगर में बिखर जाते हैं, यत्र तत्र सर्वत्र।
42.
दुर्गम क्षेत्रों में अपने निवास स्थलों और नगरीय जीवन से अलगाव के कारण आदिवासी आज भी दलितों-अल्पसंख्यकों की तुलना में भारतीय राजनीति पर दवाब डालने की स्थिति में नहीं हैं, पर निःसंदेह वे भारतीय विकास की रीढ़ हैं।
43.
युवा कवि तुषार धवल उत्तर-पूंजीवाद के भारतीय संस्करण की इन्ही विषमताओं को अपनी इस लम्बी कविता में विन्यस्त करते हैं, तुषार की कविताएँ बेरंग और बदरंग मध्यवर्गीय नगरीय जीवन के संत्रास को देखती समझती हैं.
44.
दलित, स्त्री, मजदूर, किसान, ऋणग्रस्तता, रिश्वतखोरी, विधवाएँ, बेमेल विवाह, धार्मिक पाखण्ड, मानव मूल्यों की दरकन, जेनरेशन गैप, ग्रामीण जीवन की सहजता के मुकाबले नगरीय जीवन की स्वार्थ लोलुपता आदि ऐसे ही यक्षप्रश्न हैं।
45.
आधुनिक नगरीय जीवन की चमक-दमक और विकास का मायाजाल (शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार) लेकर वे आदिवासी दुनिया में प्रवेश करते हैं और उनसे उनका सबकुछ (स्वतंत्रता, आत्मनिर्णय का अधिकार, सांस्कृतिक अस्मिता) छीनकर उन्हें अपना शासित बना लेते हैं।
46.
एक नगरीय जीवन में जिया, पला, बढ़ा व्यक्ति उस रोटी का मूल्य और स्वाद दोनों नहीं जान सकता जिसने बरसात की नमी से भीगी लकड़ियों को जलाने के लिए बूढ़ी माँ की आँखों से बहते आँसू और धुएं में झुलसा चेहरा नहीं देखा होगा।
47.
हमारे नगरीय जीवन का एक बहुत बड़ा हिस्सा अब जबकि छोटे आकार के घरों में निवास करने को मजबूर हुआ है, उसे और जो हर तरह की बाजारू वस्तुओं से घिरा हुआ है, उसे भी आकार में छोटी वस्तुओं की जरूरत आन पड़ी है।
48.
गोदान में ग्राम्य तथा नगरीय जीवन शैली को समटते हुए ग्रामीण होरी का दर्द, गाँव के जमींदार के द्वारा ग्रामीणों के शोषण, नगर के प्रोफेसर मेहता और मिस मालती के विचारों के अन्तरद्वन्द्व की प्रभावशाली अभिव्यक्ति 'प्रेमचंद' जी के लेखन की ऐसी विशेषता है जो उन्हें अतिविशिष्टता प्रदान कर के महान बना देती है।
49.
४-डायबीटिज वर्तमान में भयावह रुप ले रही है, आपने भी कहा कि शारीरिक श्रम और अच्छी जीवन शैली से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है, तो मैं यह जानना चाहुंगा कि नगरीय जीवन शैली के व्यक्तियों को किस प्रकार से शारीरिक श्रम करना चाहिये और पथ्य और अपथ्य में किन चीजों का समावेश करना चाहिये।
50.
गोदान में ग्राम्य तथा नगरीय जीवन शैली को समटते हुए ग्रामीण होरी का दर्द, गाँव के जमींदार के द्वारा ग्रामीणों के शोषण, नगर के प्रोफेसर मेहता और मिस मालती के विचारों के अन्तरद्वन्द्व की प्रभावशाली अभिव्यक्ति ' प्रेमचंद ' जी के लेखन की ऐसी विशेषता है जो उन्हें अतिविशिष्टता प्रदान कर के महान बना देती है।