सब मिट्टी हुआ कि नहीं? अब जाड़े-पाले में लोगों को नहाना-धोना पड़ेगा कि नहीं? हम कहते हैं तू बूढ़ा हो गया मिठुआ, मरने के दिन आ गए, पर तुझे अक़्ल भी नहीं आई।
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स्ट्रोक के बाद रोगी को खाना, पीना, निगलना, नहाना-धोना, तैयार होना, कपड़े पहनना, खाना पकाना, लिखना, पढ़ना, बाथरूम जाना आदि सभी कार्य नए सिरे से सिखलाय े जात े है ं।
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सुबह जल्दी उठना, पानी का पम्प चलाना, छत की टंकी को भरना, गमलों में पानी डालना, घर के अन्दर-बाहर सफाई करना, नहाना-धोना, पूजा-पाठ करना, फिर दोनों जने मिलकर भोजन बनाना-खाना, ये नित्यक्रम उनका रहता है.
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सुबह दोनो का एक साथ ब्रश करना, नाश्ता करना, आगे-पीछे नहाना-धोना, लन्च, डिनर सब कुछ साथ में ; और देर रात हो जाने पर … “ अब इतनी रात को कहाँ जाओगे, ताऊजी को फोन करदो, यहीं लेट जाओ ”
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‘ बिना वजह? जो व्यक्ति मेरे लिए पूर्णत: अपरिचित है, उसके लिए तुम क्या-क्या नहीं कर रहे हो? किसी अस्वस्थ्य व्यक्ति के लिए कुछ करना अवश्य अच्छी बात है परंतु जिसकी फ़िक्र में तुम्हारा ऑफ़िस जाना छूट गया, नहाना-धोना, खाने-पीने की सुध नहीं, अपनी बेटी की सुध लेने का भी समय नहीं।
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वह ज्यादा से ज्यादा भारतीय लड़कियों के साथ नाचें, ताकि वे नहाना-धोना बंद कर दें और इस तरह जो पानी बचे, उससे कुछ प्यासों की प्यास बुझायी जा सके! हमारे तमाम बेहतरीन खिलाड़ी खूबसूरत माडलों और एक्ट्रेसों से शादी कर लें और खेल के मैदान में दूसरों को जीतने का मौका देकर अपनी उदारता का परिचय दें! देश में अंतर्राष्टरीय सौंदर्य प्रतियोगिता का आयोजन हो और फिर मुहल्ले-मुहल्ले में वैसी प्रतियोगिताएं होती रहें! तमाम खूबसूरत लड़कियां कपड़ों में से निकल कर फ्लोर पर आ जाएं और दर्शकों की आंखों की सिकाई करती रहें।
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ऐ नबी, इनसे कहो किसने अल्लाह की उस सज्जा को हराम कर दिया है जिसे अल्लाह ने अपने बन्दों के लिए निकाला था और किसने अल्लाह की प्रदान की हुई पाक चीज़ें हराम कर दीं? 1 (7: 31-32) (1. अल्लाह की इबादत की ग़लत परिकल्पना और चरम पंथ (Extremism) पर आधारित कुछ धर्मों के अनुयायियों में रिवाज यह था कि वे गन्दे रहते, नहाना-धोना और स्वच्छ वस्त्र पहनना छोड़ देते, नंगे रहते या केवल लंगोटी बाँधे रहते, बुरी तरह बाल बढ़ाए रहते, आदि।