हाल ही में, ऐसे जन्म परिचारकों की श्रेणी उभरी है जो नाभि रज्जु को कैप्सूल में डाल कर प्रसव पश्चात माताओं को नाभि रज्जु दवा के रूप में देते हैं.
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[36] हाल ही में, ऐसे जन्म परिचारकों की श्रेणी उभरी है जो नाभि रज्जु को कैप्सूल में डाल कर प्रसव पश्चात माताओं को नाभि रज्जु दवा के रूप में देते हैं.
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[36] हाल ही में, ऐसे जन्म परिचारकों की श्रेणी उभरी है जो नाभि रज्जु को कैप्सूल में डाल कर प्रसव पश्चात माताओं को नाभि रज्जु दवा के रूप में देते हैं.
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इसके अतिरिक्त वैकल्पिक रूप से, यह थोडा इंतज़ार कर के भी निकाली जा सकती है, जिसमें नाभि रज्जु को बगैर किसी चिकित्सकीय सहायता के स्वतः ही बाहर आने दिया जाता है.
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इसके अतिरिक्त वैकल्पिक रूप से, यह थोडा इंतज़ार कर के भी निकाली जा सकती है, जिसमें नाभि रज्जु को बगैर किसी चिकित्सकीय सहायता के स्वतः ही बाहर आने दिया जाता है.
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अब तो स्टेम सेल बैंक भी हैं और बच्चे के पैदा होने के बाद, उसके नाभि रज्जु यानी अम्बिलिकल कोर्ड से यह कोशिकाएं निकाल कर रख ली जाती हैं.
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ऐसा माना जाता है की नाभि रज्जु में वे हार्मोन होते हैं जो प्रसव पश्चात की अवधि के भावनात्मक समस्याओं को कम करते है और कुछ केसों में प्रसव पश्चात अवसाद से भी छुटकारा दिलाते है.
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ऐसा माना जाता है की नाभि रज्जु में वे हार्मोन होते हैं जो प्रसव पश्चात की अवधि के भावनात्मक समस्याओं को कम करते है और कुछ केसों में प्रसव पश्चात अवसाद से भी छुटकारा दिलाते है.
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अभिनेता संजय दत्त और उनकी पत्नी मान्यता दत्त ने हाल ही में जन्में अपने जुड़वां बच्चों की नाभि रज्जु (अम्बिलिकल कॉर्ड) की स्टेम कोशिकाओं को भारत के पहले निजी कॉर्ड रक्त बैंक लाइफसेल में सहेज कर रख ली।
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नाभि रज्जु को भाप में पकाया जाता है और फिर एक ड्रायर में सुखा लिया जाता है, उसके बाद इस जेल को कैप्सूल में डाल लिया जाता है, और फिर हफ़्तों या महीनों तक इसे खाया जाता है.