इण्टर की परीक्षा पूर्ण किये बिना ही केसरी चन्द जी 10 अप्रैल, 1941 को रायल इन्डिया आर्मी सर्विस कोर में नायब सूबेदार के पद पर भर्ती हो गये।
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सिपाही महेश चंद्र पाठक व प्रीतम सिंह, हवलदार वीर सिंह व आनरेरी नायब सूबेदार गंगा सिंह भी गोलियों से घायल हुए देश के 1363 सैनिकों में शामिल थे।
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रास्ते में उसने असीरगढ़ का दुर्ग जीत लिया तथा दक्षिण भारत के नायब सूबेदार आलम अली ख़ाँ, जो हुसैन अली का दत्तक पुत्र था, को मार डाला।
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इस हमले में मारे गये भारतीय सैनिकों में लेफ्टिनेंट कर्नल महिपाल सिंह, नायब सूबेदार शिवकुमार पाल, हवलदार हीरालाल, हवलदार भरत सिंह और सिपाही नंदकिशोर शामिल हैं।
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उन्होंने कहा मैंने एक साल का कोर्स पूरा कर लिया था, जिससे मैं नायब सूबेदार बनने का हकदार था और इस कारण मेरी सेवा दो साल और बढ़ जाती।
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हमले में जो जवान शहीद हुए उनमें लेफ्टिनेंट कर्नल महिपाल सिंह, नायब सूबेदार शिव कुमार पाल, हवलदार हीरालाल, हवलदार भरत सिंह और सिपाही नंद किशोर शामिल हैं।
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वहां मौजूद 883 बटालियन के जेसीओ नायब सूबेदार आरएस गुर्जर और नायब सूबेदार वीपी शर्मा ने तत्काल फैसला लिया और श्रद्धालुओं को ऊपर की पहाड़ी ओर भेजना शुरू कर दिया।
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वहां मौजूद 883 बटालियन के जेसीओ नायब सूबेदार आरएस गुर्जर और नायब सूबेदार वीपी शर्मा ने तत्काल फैसला लिया और श्रद्धालुओं को ऊपर की पहाड़ी ओर भेजना शुरू कर दिया।
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उनके मृतक देह को बठिंडा छावनी से आई भारतीय फौज की 18 पंजाब बटालियन के नायब सूबेदार सुभाष चंद्र की अगुवाई में पहुंची टुकड़ी ने फूल माला भेंट कर श्रद्धांजलि दी।
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इस अवसर पर एएमसी में बेहतर योगदान के लिए लेफ्टिनेंट सुरेन्द्र सिंह पंवार द्वारा भूतपूर्व सैन्यधिकारी मेजर जनरल एसके विस्वास तथा भूतपूर्व नायब सूबेदार नर्सिंग असिस्टेन्ट गिरिजा शंकर वर्मा को सम्मानित किया गया।