हकीकत का सामना कंपनियां अक्सर अपनी लक्षित कंपनी की कर्मचारी ताकत व ब्रांड वैल्यू जैसी अमूर्त संपत्तियों को नजरंदाज करती हैं ऐसा करना घातक है, क्योंकि किसी भी संस्था में अमूर्त संपत्तियों का मूल्य 75 फीसदी तक हो सकता है ज्यादातर सौदों में अमूर्त संपत्तियों और विलय की गई इकाई के भविष्य के प्रदर्शन के बीच गहरा रिश्ता होता है विदेशी सौदे के वक्त सांस्कृतिक अंतर की खाई की तरफ निगाह डालना और उसे पाटना बेहद जरूरी हो जाता है