इसका अर्थ यह है कि किसी एक तारागुच्छ ताराप्रणाली (गैलेक्सी) में आर आर लाइरा तारे हों, तो वे समान निरपेक्ष कांतिमान के होंगे और यह समान निरपेक्ष कांतिमान लगभग शून्य के तुल्य है।
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इसका अर्थ यह है कि किसी एक तारागुच्छ ताराप्रणाली (गैलेक्सी) में आर आर लाइरा तारे हों, तो वे समान निरपेक्ष कांतिमान के होंगे और यह समान निरपेक्ष कांतिमान लगभग शून्य के तुल्य है।
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इसका अर्थ यह है कि किसी एक तारागुच्छ ताराप्रणाली (गैलेक्सी) में आर आर लाइरा तारे हों, तो वे समान निरपेक्ष कांतिमान के होंगे और यह समान निरपेक्ष कांतिमान लगभग शून्य के तुल्य है।
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इसका अर्थ यह है कि किसी एक तारागुच्छ ताराप्रणाली (गैलेक्सी) में आर आर लाइरा तारे हों, तो वे समान निरपेक्ष कांतिमान के होंगे और यह समान निरपेक्ष कांतिमान लगभग शून्य के तुल्य है।
45.
मिसाल के लिए अगर किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है के यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता तो वह कितना चमकीला लगता।
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मिसाल के लिए अगर किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान की बात हो रही हो तो यह देखा जाता है के यदि देखने वाला उस तारे के ठीक १० पारसैक की दूरी पर होता तो वह कितना चमकीला लगता।
47.
परमदानव तारा कहलाने के लिए किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान (चमक) को-७ मैग्निट्यूड से अधिक होना चाहिए (याद रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड की संख्या जितनी कम होती है तारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है) और बहुत ही भीमकाय होना चाहिए।
48.
परमदानव तारा कहलाने के लिए किसी तारे के निरपेक्ष कांतिमान (चमक) को-७ मैग्निट्यूड से अधिक होना चाहिए (याद रहे के खगोलीय मैग्निट्यूड की संख्या जितनी कम होती है तारा उतना ही ज़्यादा रोशन होता है) और बहुत ही भीमकाय होना चाहिए।
49.
अगर कोई तारा सूरज से बीस गुना ज़्यादा मूल चमक रखता हो लेकिन सूरज से हज़ार गुना दूर हो तो पृथ्वी पर बैठे किसी दर्शक के लिए सूरज का सापेक्ष कांतिमान अधिक होगा, हालांकि दुसरे तारे का निरपेक्ष कांतिमान सूरज से अधिक है।
50.
प्रथम ताराश्रेणी के अत्यंत चमकीले तारे नीले रंग के होते हैं तथा उनका निरपेक्ष कांतिमान 7 अथवा 8 होता है, जबकि द्वितीय ताराश्रेणी के अत्यंत चमकीले तारे लाल रंग के होते हैं तथा उनका निरपेक्ष कांतिमान-3 या उससे अधिक होता है।