मोक्ष्यामि पुण्डरीकाक्ष परेऽह्नि शरणं भव॥ अर्थात् हे देव पुण्डरीकाक्ष! मैं पूर्णिमा को निराहार व्रत रखकर दूसरे दिन आपके पूजनोपरांत ब्राह्मणों को भोजनादि पदार्थों से तृप्तकर, वस्त्राभूषणदक्षिणादि से संतुष्टकर, सानंद विदाकर आपकी आज्ञा को शिरोधार्य कर ही भोजन ग्रहण करूंगा।
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भीतें बन चुकने पर शुभ नक्षत्र, योग और करण का विचार करके रोहिणी या श्रवण नक्षत्र में प्रात: काल सूर्योदय हो चुकने पर ऐसे श्रेष्ठ आचार्यों के हाथ स्तंभों की स्थापना करानी चाहिए जो पिछले तीन दिन रात तक निराहार व्रत रह चुके हों।
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इसके बाद सूर्यास्त होने के बाद सभी व्रती भगवान भास्कर की पूजा करने के बाद एक बार ही दूध और गुड़ से बनी खीर खाते हैं तथा जब तक चाँद नजर आए, तब तक पानी पीते हैं और उसके बाद से उनका करीब 36 घंटे का निराहार व्रत शुरू होता है।
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लोगों को रामायण की उस पुराण कथा का स्मरण होगा, जब श्रीराम ने जलाधिपति समुद्र से लंका जाने का मार्ग देने की प्रार्थना करते हुए उसके तट पर तीन दिन निराहार व्रत करते गुजारे थे, लेकिन अपनी विराट सत्ता के अहंकार में डूबे समुद्र ने उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दिया।
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काली जी की पूजा होती है, चंद्रमा या तारे को देखकर भोजन किया जाता है करर्तिक कृष्ण द्वादशी को गोधूलि बेला में गायों की पूजा होती है, दिनभर माता निराहार व्रत रखती हैं, कोदो की चावल, चने की दाल, या काकुन के चावल, बेसन की अठवाई खायी जाती है।
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काली जी की पूजा होती है, चंद्रमा या तारे को देखकर भोजन किया जाता है करर्तिक कृष् ण द्वादशी को गोधूलि बेला में गायों की पूजा होती है, दिनभर माता निराहार व्रत रखती हैं, कोदो की चावल, चने की दाल, या काकुन के चावल, बेसन की अठवाई खायी जाती है।
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खरना: खरना के अवसर पर दूध और गुड़ से बने खीर प्रसाद (तस्मई) का काफी महत्व होता है व्रती इसे ही ग्रहण करतें हैं, इसके साथ ही शुरू हो जाता है 36 घंटे का निराहार व्रत इस महाव्रत की बहुत बड़ी मान्यता होती है, इस व्रत को करने वाले महिला, पुरुष, बच्चे को समाज में काफी मान और श्रद्धा से देखा जाता है।
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शाम को डूबते सूर्य भगवान् को अर्ध्य देने के लिय सभी सामग्री को लकड़ी के डाले पर रख कर घाट पर ले जाया जाता हैं अर्ध्य देने बाद घर वापिस आया जाता हैं फिर अगले दिन सूर्य की पहली किरण के साथ फिर से भगवान् भास्कर को अर्ध्य देने का काम किया जाता हैं अर्घ्य अर्पित करने के बाद ही श्रद्धालुओं का 36 घंटे का निराहार व्रत समाप्त होता है और वे अन्न ग्रहण करते हैं।