इसके बाद यूरिया नेफ्रॉन में पुनः प्रवेश कर सकता है और इस आधार पर इसे पुनः उत्सर्जित या पुनर्चक्रित किया जा सकता है कि एडीएच (ADH) अभी भी उपस्थित है या नहीं.
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हालांकि, गुर्दे सीधे ही रक्तचाप का अनुमान नहीं लगा सकते, लेकिन नेफ्रॉन के दूरस्थ भागों में सोडियम और क्लोराइड की सुपुर्दगी में परिवर्तन गुर्दे द्वारा किये जाने वाले किण्वक रेनिन के स्राव को परिवर्तित कर देता है.
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हालांकि, गुर्दे सीधे ही रक्तचाप का अनुमान नहीं लगा सकते, लेकिन नेफ्रॉन के दूरस्थ भागों में सोडियम और क्लोराइड की सुपुर्दगी में परिवर्तन गुर्दे द्वारा किये जाने वाले किण्वक रेनिन के स्राव को परिवर्तित कर देता है.
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नेफ्रॉन का प्रारंभिक शुद्धिकरण भाग कोर्टेक्स में स्थित वृक्कीय कणिका (renal corpuscle) होता है जिसके बाद मेड्यूला से होकर मेड्यूलरी पिरामिडों में गहराई तक जानी वाली एक वृक्कीय नलिका (renal tubule) पाई जाती है।
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हालांकि, गुर्दे सीधे ही रक्तचाप का अनुमान नहीं लगा सकते, लेकिन नेफ्रॉन के दूरस्थ भागों में सोडियम और क्लोराइड की सुपुर्दगी में परिवर्तन गुर्दे द्वारा किये जाने वाले किण्वक रेनिन के स्राव को परिवर्तित कर देता है.
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एक नेफ्रॉन का प्रारंभिक शुद्धिकरण भाग छाल में स्थित वृक्कीय कणिका (renal corpuscle) होता है, जिसके बाद छाल से होकर मज्जात्मक पिरामिडों में गहराई तक जानी वाली एक वृक्कीय नलिका (renal tubule) पाई जाती है.
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अत्यंत मुत्राधिक्य का इलाज मूत्रवर्धक से करना विरोधाभासी लगता है लेकिन थियाजाइड मूत्रवर्धक, दूरस्थ संवहन नलिका के सोडियम और पानी के अवशोषण को कम करता है और दूरस्थ नेफ्रॉन में द्रव की परासारिता में कमी होती है जिसके परिणामस्वरूप मलोत्सर्जन दर में कमी होती है.
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अत्यंत मुत्राधिक्य का इलाज मूत्रवर्धक से करना विरोधाभासी लगता है लेकिन थियाजाइड मूत्रवर्धक, दूरस्थ संवहन नलिका के सोडियम और पानी के अवशोषण को कम करता है और दूरस्थ नेफ्रॉन में द्रव की परासारिता में कमी होती है जिसके परिणामस्वरूप मलोत्सर्जन दर में कमी होती है.