अप्रैल 28, 2009 अफ़लातून अफलू द्वारा भारतीय प्रेस परिषद के अध्यक्ष न्यायमूर्ती गानेन्द्र नारायण रे ने आम चुनाव में मुष्टीमेय समाचार पत्रों द्वारा चुनाव रिपोर्टिंग की बाबत प्रेस परिषद के दिशा निर्देशों के खुले आम उल्लंघन को गंभीरता से लिया है ।
42.
न्याय का तो यदि संधी विच्छेद ही करें तो बनता है, न और आय यानी ऐसा कार्य/उत्तरदायित्व कि जो आय के निमित्त न हो, तब पेड लोगों को न्यायमूर्ती बनाकर बैठाने से न्याय कैसे संभव है, और इसका जीता जगता उदाहरण इस देश की दुर्दशा है.
43.
अब तक तीन उपराष्ट्रपति वी॰ वी॰ गिरि (राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण), बी.डी. जत्ती (राष्ट्रपति फ़खरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के कारण), तथा मोहम्मद हिदायतुल्ला (राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ेल सिंह की अनुपस्थिति के कारण) और एक मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ती मोहम्मद हिदायतुल्ला राष्ट्रपति के पद के कृत्यों का निर्वहन कर चुके हैं।
44.
न्यायमूर्ती एम. एस.लिब्रहान ने 17 साल अथक परिश्रम किया जिस दरमियान शुरुआती तीन माह की नियुक्ति के उनके कार्यकाल को 40 बार बढ़ाया गया, उन्होंने 1029 पृष्टों की एक रिपोर्ट तैयार की जो उन तमाम हकीकतों और हालात का तफ़सील से ब्यौरा देती है जिनके के कारण 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाया गया।
45.
न्यायमूर्ती एम. एस. लिब्रहान ने 17 साल अथक परिश्रम किया जिस दरमियान शुरुआती तीन माह की नियुक्ति के उनके कार्यकाल को 40 बार बढ़ाया गया, उन्होंने 1029 पृष्टों की एक रिपोर्ट तैयार की जो उन तमाम हकीकतों और हालात का तफ़सील से ब्यौरा देती है जिनके के कारण 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाया गया।
46.
अब तक तीन उपराष्ट्रपति वी॰ वी॰ गिरि (राष्ट्रपति जाकिर हुसैन की मृत्यु के कारण), बी. डी. जत्ती (राष्ट्रपति फ़खरुद्दीन अली अहमद की मृत्यु के कारण), तथा मोहम्मद हिदायतुल्ला (राष्ट्रपति ज्ञानी ज़ेल सिंह की अनुपस्थिति के कारण) और एक मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ती मोहम्मद हिदायतुल्ला राष्ट्रपति के पद के कृत्यों का निर्वहन कर चुके हैं।
47.
हाईकोर्ट के एकल पीठ के न्यायमूर्ती राजेंद्र मेनन द्वारा प्रकरण में सरपंच की अनुउपस्तिथि को गंभीर मामला माना है जिस पर वारंट जारी किया गया है ज्ञात हो कि ग्राम पंचायत उल्दन के सचिव रूपनारायण चैबे द्वारा एक अवमानना याचिका तत्कालीन कलेक्टर ई रमेश कुमार तत्कालीन सीईओ मंजू खरे सरपंच भावना जैन वा तत्कालीन सचिव संदीप पटैल के विरुद्ध दायर की गई है जिस पर मंगलवार को सुनवाई करते हुए उक्त बेलिवल वारंट जारी किया गया है याचिकाकर्ता की और से अधिवक्ता लाल ज्ञानन्द्र सींग बघेल द्वारा पेरवी की जा रही है।
48.
उन्होंने, उच्चतम न्यायलय के न्यायमूर्ती (जो ज़ाहिर है व्यास्पीठ्पे स्थानापन्न थे), की ओर मुखातिब हो, किंचित विनोदी भावसे क्षमा माँगी और कहा, “ मेरे बयान को न्यायालय की तौहीन मानके, उसके तहेत समन्स ना भेज दिए जाएँ! ” बेशक, सपूर्ण खचाखच भरे सभागृह मे एक हास्य की लहर फ़ैल गयी! श्री शेखावत ने, कानूनी व्यवस्थाकी असमंजसता और दुविधाका वर्णन करते हुए कहा, ” राजस्थान मे जहाँ, मै ख़ुद कार्यरत था, पुलिस स्टेशन्स की बेहद लम्बी सीमायें होती हैं।