यह पूछने पर कि तीन न्यायाधीशों की समिति द्वारा रिपोर्ट सौंपे जाने के बाद क्या खुद के बचाव के लिए वह भारत के प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखेंगे तो न्यायमूर्ति गांगुली ने कहा, ‘ मुझे रिपोर्ट और समिति के बारे में जानकारी नहीं है.
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यदि उच्चतम न्यायालय के पाँच न्यायाधीशों की समिति को रिपोर्ट के अध्ययन के बाद पहली नजर में यह लगता है कि अमुक न्यायाधीश के खिलाफ आरोपों में सच्चाई हो सकती है तो समिति उसके मामले में प्रधान न्यायाधीश से उचित कार्रवाई का आग्रह कर सकती है।
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दो चरणों वाली इस आंतरिक जाँच व्यवस्था में जब पहले चरण में तीन न्यायाधीशों की समिति आरोपों की छानबीन करके रिपोर्ट तैयार करेगी और फिर इस रिपोर्ट पर उच्चतम न्यायालय के पाँच न्यायाधीश विचार करेंगे तो इसके नतीजों के प्रति किसी तरह के संदेह की गुंजाइश नहीं बचेगी।
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मैं समझता हूँ कि उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीशों की समिति के निष्कर्ष के आलोक में प्रधान न्यायाधीश आरोपों में घिरे न्यायाधीश को पद से इस्तीफा देने की सलाह दे सकते हैं और ऐसा नहीं होने पर पुलिस को उसके खिलाफ कार्रवाई के लिए प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देने का रास्ता अपना सकते हैं।