मैं भी एक स्काउट हूँ, कई अन्य लोगों की तरह, इन अनुभवों को साझा करना चाहते हैं, दूसरों की तरह वे समूह में स्काउट्स है, लेकिन यह भी पक्ष-विपक्ष के साथ दिखाने के लिए, अन्य जो लोग मेरी एक ही साझा जुनून के साथ तुलना और एक विदेशी दिखाने “क्या वास्तव में स्काउटिंग के लिए है.
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ता. 20-9-2011 को “ भारतीय मानस पर पाश्चात्य संस्कृति का प्रभाव ” नामक विषय पर एक वादविवाद प्रतियोगिता आयोजित की गई जिसमें कुल तीन टीमों ने हिस्सा लिया और पक्ष-विपक्ष पर दो घंटे तक चली बहस में विश्वविद्यालय के सभागार में उपस्थित लगभग 200 विद्यार्थियों ने कभी समर्थन में तो कभी असहमति में अपने-अपने ढंग से अभिव्यक्ति की और भरपूर आनंद उठाया ।
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देश में मँहगाई बढ रही है, लोगों का जीना मुश्किल हो गया है, इस तरह की उक्ति हम आये दिन सुनते रहते है | संसद के हर सत्र में इस मुद्दे पर गतिरोध बना रहता है | राजनैतिक पार्टियाँ पक्ष-विपक्ष की भुमिका में अपनी जोर-आजमाईश करती नजर आती हैं पर ले-दे के मुद्दा ही गौण रह जाता है | फिर अगले सत्र की आस लग जाती है पर सवाल उठता है कि बढती हुई मंहगाई का जिम्मेदार कौन है?
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देश में मँहगाई बढ रही है, लोगों का जीना मुश्किल हो गया है, इस तरह की उक्ति हम आये दिन सुनते रहते है | संसद के हर सत्र में इस मुद्दे पर गतिरोध बना रहता है | राजनैतिक पार्टियाँ पक्ष-विपक्ष की भुमिका में अपनी जोर-आजमाईश करती नजर आती हैं पर ले-दे के मुद्दा ही गौण रह जाता है | फिर अगले सत्र की आस लग जाती है पर सवाल उठता है कि बढती हुई मंहगाई का जिम्मेदार कौन है?
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मनोज जी, आप की लेखनी का कोई जवाब नहीं, आमतौर पर में जागरण मंच पर ये देखता हूँ की ब्लॉग कोई भी लिखे, कैसा भी लिखे, सब बेमतलब तारीफ़ के पुल बांधते रहते हैं कोई स्वस्थ बहस नहीं होती, तुमने लिख दिया तुम बढ़िया मैंने लिख दिया में बढ़िया, परन्तु जब आप लिखते हैं तो व्यक्ति अपने विचार लिखने पर मजबूर हो जाता है और एक स्वस्थ बहस का आधार बनता है चाहे पक्ष-विपक्ष कुछ भी हो.
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चुननी होती है जिंदगी में कई राहें पहचानने होते है कई बार चेहरे पार करने होते है कई आयाम सत्य-असत्य धर्म-अधर्म जय-पराजय पक्ष-विपक्ष नहीं बच सकता है कोई उदासीन भी नहीं रह सकता यही है मानव जीवन का सर्वविदित सत्य इससे राम और कृषण भी नहीं थे परे द्वन्द-प्रतिद्वन्द चलता रहता है मन के अन्दर भी और बाहर भी नहीं होता है कोई भी बुरा जब तक होता नहीं वशीभूत इर्ष्या-द्वेष से लोभ और स्वार्थ से मित्रता-शत्रुता आशा-निराशा विश्वास-अविश्वास इन दोराहो से हर बार गुजरना होता है