मंदिरो में जो घंटी चढ़ाई जाती है, उसके सस्ते स्वरुप को घान कहा जाता है, यह तांबे की पतली चादर से बनाया जाता है और इसके अन्दर एक लोहे की मुंगरी होती है, जो तांबे के बाहरी खोल से टकराने पर बहुत कर्णप्रिय स्वर उत्पन्न करती है।
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दरवाजे में पल्ला हटाने के लिए कड़ी लगी हुई थी और जिस जगह ताला लगा हुआ था उसके मुंह पर लोहे की एक पतली चादर रक्खी हुई थी जिसे कुंअर इन्द्रजीतसिंह ने हटा दिया और उसी तिलिस्मी ताली से ताला खोला जो पुतली के हाथ में से उन्हें मिली थी।
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उन्हें अपने से ज़्यादा अपने रिक्शे या ठेलिया की हिफ़ाज़त की चिंता भी होती है और चार दिन की चांदनी भी कैसी? पतली चादर से बनायी गयी चारदीवारी की यह सुविधा भी तो बस लिफ़ाफ़ा होती है जो बदन चीरती ठंड से मामूली बचाव भी नहीं कर पाती.
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जैसे मूसलाधार बरसात के बाद भर जाते हैं ताल-पोखरे ओने-कोने से, लबालब शांत नीला समंदर भरता है हर लहर को भीतर-बाहर से या पतझड़ भर देता है सूखे पत्तों से किसी वीरान जंगल की मटियाली सतह को कई परतों में इतने हल्के से कि एक पतली चादर सरसराती हवा की सजा दे और ज्यादा उन पतियाली परतों को उनके बीच की जगहों को भरते हुए।
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तब शिव कहते है, नंदी जब तक ये तुम्हारे जैसा मित्र नहीं बनेगा तब तक पतली चादर की तरह जमीन से चिपका रहेगा, ये तुम्हारे पैरो के बराबर भी नहीं आ पायेगा, तब से आज तक न तो वह बाघ नंदी जैसा मित्र बन पाया और न जमीन से उठ पाया, कभी कभार दुनियादारी के, भूत भावन भूतो को प्रिय, भोले भंडारी, शिव भगवान उस पर सवार होकर अपनी साधना भी करते है,