चैत्र के ठीक पहले पत्रहीन हो गये पलाश-वृक्षों पर जैसे रंग उतरता है ऋतु भीगती है भोर की ओस में वैसे ही गुजरोगी तुम एक दिन हमारी इच्छाओं दुखों और स्वप्नों के बीच से
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पत्रहीन नग्न गाछ-प्रफुल्ल कोलख्यानपीढ़ी के प्रतिनिधि नायक का अद्भुत उत्तर सुनकर, सहम गई थी वह चिड़िया जिसके पूरे वजूद को अनदेखा कर सिर्फ उसकी आँख को ही देख पाने को स्वीकारा था प्रतिनिधि नायक ने!
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बांग्ला रचनाएँ-मैं मिलिट्री का पुराना घोड़ा (हिन्दी अनुवाद)ऐसा क्या कह दिया मैंने-नागार्जुन रचना संचयन पुरस्कार/सम्मान:: साहित्य अकादमी द्वारा सम्मानित कवि नागार्जुन को १९६५ में साहित्य अकादमी पुरस्कार से उनके ऐतिहासिक मैथिली रचना पत्रहीन नग्न गाछ के लिए १९६९ में नवाजा गया था।
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पतझड़ भी वहां सुंदर लगता है, नवम्बर के अन्तिम दिनों में जब पेड़ों से पतियाँ झड़ जाती हैं, या बची-खुची दो चार झड़ने को होती हैं, बेबी-केयर के पत्रहीन वृक्ष पर लाल रंग के चेरी जैसे जंगली फल बड़े सुंदर लगते हैं.