देवि! जो मोक्ष की प्राप्ति का साधन है अचिन्त्य महाव्रतस्वरूपा है समस्त दोषों से रहित जितेन्द्रिय तत्व को ही सार वस्तु मानने वाले तथा मोक्ष की अभिलाषा रखने वाले मुनिजन जिसका अभ्यास करते हैं वह भगवती परा विद्या आप ही हैं आप शब्दस्वरूपा हैं अत्यन्त निर्मल ऋग्वेद यजुर्वेद तथा उद्गीथ के मनोहर पदों के पाठ से युक्त सामवेद का भी आधार आप ही हैं।